नई दिल्ली. भारत में दूध उत्पादन पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा होता है. देश के कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता है. में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी भैंस की 54 फीसद है. इसके बाद बकरी के दूध का नंबर आता है. बकरी के दूध में पहले नंबर पर राजस्थान का नाम का नाम आता है तो दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है तो तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है और चौथे स्थान पर गुजरात है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली कहते हैं कि बकरी के दूध में कई गुणकारी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो लोगों के लिए बड़े ही फायदेमंद होते हैं.
बकरी का दूध बहुत ही गुणकारी होता है. इसके पीने का कई फायदा भी है. हालांकि एक मसला ये भी है कि बकरी के दूध में से आने वाली खास तरह की स्मेल के चलते ही बहुत सारे लोग इसे नहीं पीते हैं. जबकि ये कई बीमारियों के लिए मुफीद है. बीमारी के समय में पीने के लिए बाजार में फ्लेवर्ड मिल्क भी मिलता है. जिस वजह से उस खास तरह की स्मेल से भी दूध की मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता है.
अमूल बेच रही ऊंट का पैक्ड दूध
जब बकरी का दूध लोगों के लिए फायदेमंद हैं तो इस पर काम क्यों नहीं होता. ये बाजार में आसानी से उपलब्ध क्यों नहीं होता तो इसका एक सीधा सा जवाब है कि बकरी के दूध का कारोबार असंगठित हाथों में होने के कारण ये बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होता. लेकिन बकरी के दूध का उत्पादन हर साल लगातार बढ़ रहा है. डेयरी विशेषज्ञों की मानें तो गुजरात में कमर्शियल स्तर पर दो से तीन बकरी फार्म पर काम भी शुरू हो गया है. ये भी माना जा रहा है कि अगर ये फील्ड जैसे ही संगठित होगा वैसे ही डेयरी से जुड़े कुछ बड़े कारोबारी बकरी के दूध के कारोबार में आ सकते हैं. उदाहरण के तौर पर आज अमूल ऊंट का पैक्ड दूध बेच रही है. दक्षिण भारत के कई राज्यों में बकरी पालन तेजी से बढ़ रहा है.
दूध कलेक्शन में होती है दिक्कत
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष और अमूल डेयरी के पूर्व एमडी डॉक्टर आरएस सोढ़ी के अनुसार डेयरी सेक्टर की कई कंपनियां बकरी के दूध पर नजर बनाए हुए हैं. बाजार में बकरी के दूध की डिमांड भी अच्छीखासी है. मगर, एक बकरी का दूध का कलेक्शन करने में एक दिक्कत आ रही है. ये असंगठित सेक्टर है. किसी पास पांच तो किसी के पास महज दस बकरियां हैं. डेयरी संचालकों को दस—पांच लीटर दूध लेने के लिए कई किलोमीटर तक जाना पड़ता है इसलिए लोग इस ओर कम ध्यान देते हैं. अभी देश में बड़े बकरी फार्म की संख्या बहुत ही कम है. हालांकि कुछ लोगों ने इस ओर कोशिश करना शुरू कर दिया है.
बकरी के दूध पर गुजरात-दक्षिण भारत के राज्यों में काम शुरू
आरएस सोढ़ी की मानें तो गुजरात में ही दो-तीन बड़े बकरी फार्म पर तेजी से काम हो रहा है. अगर बड़ी संख्या में बड़े बकरी फार्म खुलने लगे तो फिर बड़ी कंपनियां भी आ जाएंगी. बकरी के दूध पर गुजरात और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में शुरू हो चुका है.
बकरी का दूध आर्गेनिक
गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी यानी गडवासु के कुलपति डॉक्टर इन्द्रजीत सिंह की मानें तो डॉक्टर भी दवाई के रूप में बकरी का दूध पीने की सलाह देते हैं. बकरी के चरने की व्यवस्था को देखकर इसके दूध को ऑर्गेनिक भी कहा जा सकता है.
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