नई दिल्ली. बकरी के हीट में आने की पहचान करना भी जरूरी है. बकरी सामान्य अवस्था में 24-36 घंटे तक मदकाल (हीट) में रहती है और इसी सीमित वक्त में गर्भाधान कराने पर गर्भधारण करती है. इस दौरान वजाइना के रास्ते से थोड़ी मात्रा में पारदर्शी तोड़ (योनि-द्रव्य) गिरता है. वजाइन लिक्वड हीट के शुरू में कम व पतला, मध्यावस्था में अधिक व पारदर्शी और अन्त में गाढ़ा तथा सफेद होता जाता है. बकरियों में हीट का पता करने के लिये एक टीजर बकरे को 50-60 बकरियों के झुंड में सुबह-शाम रोजाना आधा घंटा घुमाना चाहिए.
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के मुताबिक हीट में आई बकरियों की मदकाल (गर्मी) में आने के 10-12 घण्टे बाद गाभिन कराना चाहिए. अगर बकरी 24 घण्टे बाद भी गर्मी के लक्षण दिखाती है तो दोबारा 10-12 घण्टे के अन्तराल पर भी गाभिन कराया जाए. गर्भ न ठहरने की स्थिति में बकरियां 19-21 दिन के गैप पर बार-बार गर्मी (मदकाल) में आती रहती हैं.
हीट के क्या है लक्षण
पूंछ को बार-बार हिलाना.
बेचैन होना तथा दाना-चारा कम खाना.
बार-बार पेशाब करना.
झुण्ड में दूसरी मादा बकरियों पर चढ़ना.
बकरे को सम्भोग के लिये स्वीकृति देना.
बकरी की योनि का लाल होकर चिकनी व लसीली होना.
योनि मार्ग से पारदर्शी वजाइन क्विवड का निकलना.
मिमयाना व चौकन्ना हो जाना आदि हैं.
गर्भ की समय से जांच कैसे करें
गाभिन करायी गयी हर एक बकरी का उचित समय पर गर्भ परीक्षण जरूरी है. बकरियों में गर्भकाल की अवधि पांच माह (145-155 दिन) होती है.
यह जरूरी नहीं है कि प्रत्येक गाभिन कराये गये पशु में गर्भ ठहर ही जाये. गर्भ की समय से जांच न होने का दोहरा नुकसान है.
एक तो समय से गर्भ निदान के अभाव में बकरियों को गर्भावस्था में उचित आहार नहीं मिल पाता है जिससे गर्भपात की सम्भावना बढ़ जाती है और कमजोर बच्चे पैदा होते हैं.
दूसरे, खाली (बगैर गाभिन) बकरियों के रखरखाव में गैर जरूरी खर्चा होता है तथा बकरी पालन में अपेक्षित लाभ नहीं होता है.
Leave a comment