नई दिल्ली. भारत में बकरी पालन (Goat Farming) का सामाजिक व आर्थिक महत्व भी है. इसलिए बकरी पालन में साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है. जबकि बकरी पालन में तकरीबन आधे का इस्तेमाल मीट के लिए किया जाता है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो कोई भी किसान अगर किसी वजह से खेती में कामयाब न हो रहा हो तो बकरी पालन करे और इससे हो रही कमाई से पारिवारिक जोखिम कम कर सकता है. गौरतलब है कि भारत व एशिया के कई देशों में प्रचलित सीमान्त एवं छोटी लेकिन जटिल कृषि प्रणालियों के स्थायित्व में बकरियां खाद व अतिरिक्त आय उपलब्ध कराकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
ग्रामीण निर्धनों का एक बड़ा भाग वेस्टइन्डीज, वैनेजुला, मैक्सिको, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल और भारत जैसे देशों में अपने जीवन के लिए बहुत से लोग पूरी तरह से इन पर निर्भर हैं. कृषि और पशु-चराकर जीवन जीने वाले लोग समाज में बकरियों पर निवेश कर किसी संकट के खिलाफ बीमे के रूप में इस्ततेमाल करते हैं. बकरियों से हासिल खाद एशिया के लगभग सभी विकासशील देशों में भूमि उर्वरकता बनाये रखने में मूल्यवान योगदान दे रही है.
क्यों करना चाहिए बकरी पालन
- कम पूंजी की जरूरत पड़ती है.
- रखने के लिए कम स्थान की जरूरत होती है.
- कम मात्रा में दाने-चारे की जरूरत बकरियों को होती है.
- कम उम्र पर प्रजनन शुरू करने के गुण होते हैं.
- हर ब्यात में औसतन एक से अधिक बच्चे देती है.
- आवास की विशेष सुविधा की आवश्यकता न होना है.
- कम गुणवत्ता वाले चारे को पचाने की बेहतरीन क्षमता होती है.
- सभी प्रकार की जलवायु में सफलतापूर्वक अनुकूलन की क्षमता होती है.
- समस्या रहित बिक्री या कम लागत के कारण कभी भी खरीद एवं बिक्री की जा सकती है.
- बकरी के मांस की अधिक मांग होती है.
- कम जोखिम रहता है.
निष्कर्ष
आर्थिक रूप से फायदेमंद है बकरी पालन करना. अन्य पशुओं की तुलना में बकरी पालन के अधिक प्रचलित भी है. इसको पालकर अच्छी कमाई की जा सकती है.
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