नई दिल्ली. बकरियों के लिये दाना मिश्रण बकरियों के लिये न केवल दाने की मात्रा बल्कि इसकी गुणवत्ता इनके उत्पादन को प्रभावित करती है. यदि बकरियों को अच्छी गुणवत्ता वाला दहलनी हरा चारा या दलहनी चारे से बनी ‘हे’ उचित मात्रा में उपलब्ध है तो उस कंडीशन में दाने के मिश्रण में केवल अनाज जैसे जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार, गेहूं, जई आदि ही पर्याप्त है लेकिन उस समय जब अच्छी गुणवत्ता वाला दलहनी हरा चारा या इससे बनी हुई ‘हे’ उपलब्ध नहीं है तब बकरी के दाने के मिश्रण में उचित मात्रा में खल का मिलाना आवश्यक है. तभी हैल्थ सही रहेगी.
जिससे कि पोषण में प्रोटीन एवं ऊर्जा का उचित संतुलन रहे. इसके अतिरिक्त दाने के मिश्रण में 1.5 प्रतिशत नमक एवं 1.5 प्रतिशत खनिज लवण मिलाना आवश्यक है.
कैसा होना चाहिए आवास, ये भी जानें
बकरी आवासों को ऊंची जगह पर बनाना चाहिए. वहां से वर्षा के जल के निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए.
यदि छत के ऊपर छप्पर डाल दिया जाए या फैलने वाली बेलें चढ़ा दी जाए तो आवास के अन्दर गर्मी का प्रभाव कम हो जाता है.
लोहे की चादरों वाले आवासों के ऊपर सफेद पेंट भी किया जा सकता है. बकरियों को आवास में छत से ढकी एवं खुली दोनों जगहों की जरूरत पड़ती है.
ढकी जगह से जानवर धूप, ओस एवं वर्षा से बचता है तथा खुली जगह (बाड़ा) में वह आराम तथा व्यायाम करता है.
पूरे आवास का 1/3 ढकी जगह के रूप में तथा 2/3 हिस्सा बाड़े के रूप में रखा जाता है.
बकरे एवं बकरियों को उनकी उम्र एवं कार्य के अनुसार जगह की आवश्यकता (तालिका 4) घटती-बढ़ती रहती है.
निष्कर्ष
बकरियों को जरूरत के मुताबिक जगह न देने पर उनका स्वास्थ गिरता है, उनकी बढ़त कम हो जाती है तथा उत्पादन क्षमता में कमी आती है. इसलिए फार्म में उनकी जरूरत के मुताबिक जगह दी जानी चाहिए.
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