मथुरा. अगर आप बकरी फार्म खोलना चाहते हैं तो इस खबर को जरूर पढ़ें. क्योंकि बकरी पालन करने से पहले गोट फार्मर को कुछ बातों का जानना बेहद जरूरी है. अगर सही तरीके से बकरी पालन करेंगे तो कभी भी कोई नुकसान नहीं होगा. इसमें सबसे पहली और बेहद जरूरी बात ये है कि बकरी के बच्चे अच्छी नस्ल के हों, अगर मिक्स ब्रीड के बच्चे पाल लिए तो जिंदगीभर रोना ही पड़ेगा. इसलिए जब भी बकरी फार्म शुरू करें तो उसमें अच्छी नस्ल के बच्चों को ही रखें, चाहे नस्ल कोई भी. बेहतर होगा आप जिस क्षेत्र में रहते हैं, उसी की जलवायु और मौसम के वातावरण के हिसाब से बकरी की नस्ल रखेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा. आज लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज आपको इसी बारे में जानकारी दे रही है, जो बकरी पालकों के लिए बहुत जरूरी है.
ऐसे ले सकते हैं CIRG से प्योर नस्ल के बकरे-बकरी
उत्तर प्रदेश के मथुरा क मखूदम गांव, फरह में बने केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) में बकरे-बकरी और भेड़ की प्योर नस्ल पर रिसर्च भी होती है. साथ ही बकरी पालन की ट्रेनिंग भी कराई जाती है. सीआईआरजी 756 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. 44 साल पुराना यह संस्थान है. यहां बरबरी, जमनापारी, जखराना नस्ल के बकरे-बकरी और मुजफ्फरनगरी नस्ल की भेड़ पालन की ट्रेनिंग दी जाती है. संस्थान बकरी पालकों कुछ प्योर नस्ल के बकरे-बकरी मुहैया कराता है, जिससे वे बकरी के नस्ल को अच्छा कर सकें.
ये है आवेदन करने पूरी प्रक्रिया
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा की ईमेल आईडी पर या सीधे संस्थान में जाकर निदेशक के नाम से तैयार आवेदन पत्र देकर प्योर नस्ल के बकरे-बकरी की डिमांड की जा सकती है. कई बार आवेदन पत्र देने के बाद लंबा इंतजार भी करना पड़ता है. सीआईआरजी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह के अनुसार संस्थान से बकरे-बकरी लेने के लिए सबसे पहले संस्थान के निदेशक के नाम आवेदन पत्र देना होगा. जिस नस्ल के लिए आप आवेदन कर रहे हैं अगर उस नस्ल के बकरे-बकरी उस वक्त संस्थान में उपलब्धी हैं तो जल्द से जल्द प्रक्रिया पूरी करने के बाद दे दिए जाते हैं. अन्यथा लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
इन राज्यों के पशुपालकों को दी जाती है प्राथमिकता
संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि ये कोई जरूरी नहीं है कि जो आवेदक सीआईआरजी से ट्रेनिंग करेगा उसी को बकरे-बकरी दिए जाएंगे. ऐसा जरूर हो सकता है कि हम कभी-कभी ट्रेनिंग करने वाले को वरीयता दे देते हैं. यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में रहने वालों को पहले प्राथमिकता दी जाती है. आवेदन करने पर एक साल, दो साल या उससे ज्यादा उम्र तक के बकरे-बकरी दिए जाते हैं. बकरे-बकरी की उपलब्धता के आधार पर पशुपालकों को एक या दो बकरे-बकरी दिए जाते हैं. लेकिन एक स्कीम के तहत जिसका फायदा सालभर में दो या तीन लोगों को ही मिलता है.
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