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स्लॉथ भालू को ‘वल्नरेबल’ प्रजातियों की लाल सूची में क्यों किया शामिल, जानिए उन पर मंडरा रहे खतरे के बारे में

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Sloth Bear. photo credit by wildlife sos

आगरा. वर्तमान में पूरे भारत में जंगली भालुओं की संख्या 6,000 से 11 हजार के बीच है और उन्हें आईयूसीएन की ‘वल्नरेबल’ प्रजातियों की लाल सूची में सूचीबद्ध किया गया है. इन जंगली भालूओं को मुख्य रूप से बदलते पर्यावरण, बस्तियों और कृषि भूमि द्वारा अतिक्रमण और प्राकृतिक आवास के नुकसान से खतरों का सामना करना पड़ता है. मानव-भालू संघर्ष की घटनाओं के कारण भी इन्हें खतरा रहता है, जिसके तहत कभी-कभी जवाबी कार्रवाई में भालुओं की हत्या भी कर दी जाती है. स्लॉथ भालू को अक्सर संकटपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि जाल या कांटेदार तार की बाड़ में फंसना, या यहां तक ​​कि किसानों द्वारा लगाए गए कच्चे बम का निशाना बनना. बता दें कि वन्यजीव संरक्षण एनजीओ वाइल्डलाइफ एसओएस ने 12 अक्टूबर को विश्व स्लॉथ भालू दिवस की पहली वर्षगांठ मनाई गई थी.

आबादी का अनुमानित 90% भारत में पाया जाता है
मानव-भालू संघर्ष की घटनाओं के कारण भी इन्हें खतरा रहता है, जिसके तहत कभी-कभी जवाबी कार्रवाई में भालुओं की हत्या भी कर दी जाती है.इन खतरों के सामने, यह याद रखना आवश्यक है की इन भालुओं की आबादी का अनुमानित 90% भारत में पाया जाता है. इनके बारे में जागरूकता और सुरक्षा इनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए 12 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर इन भालुओं की विशिष्टता का जश्न मनाने के लिए नामित किया गया है.

भालुओं से बचने के लिए ये उपाय करें
वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस ने भालू के व्यवहार और उनसे कैसे बचे इसके बारे में लोगों में जागरूकता फैलाई है. अधिकांश ग्रामीणों को भालू से बचने के उपायों जैसे कि तेज़ आवाज़ निकालते हुए जंगल में जाना, या फिर पहचान करना की क्षेत्र में भालू हैं कि नहीं आदि के बारे में लोगों को जानकारी दी गई. इससे पहले लोगों को यह तक नहीं पता था की भालू से सामना होने पर कैसे प्रतिक्रिया करनी है. कर्नाटक में स्लॉथ भालू के हमले की घटनाओं पर शोध करने के बाद, वाइल्डलाइफ एसओएस जंगली भालुओं से सामना होने पर उनसे बचने के तरीके लेकर आया. कुछ उपायों जैसे की छोटे समूहों में जंगलों में घूमना, छड़ी या सीटी का उपयोग करना और अकेले यात्रा करते समय टॉर्च ले जाना शामिल है. इसके अतिरिक्त, स्लॉथ भालू के निवास स्थान से गुजरते समय बात करके, गाकर या ताली बजाकर शोर मचाना और रात के बजाय दिन के दौरान वन उत्पादों को इकट्ठा करने की भी सलाह दी जाती है.

दिन की अपेक्षा रात में ज्यादा सक्रिय रहता है भालू
वाइल्डलाइफ एसओएस के वरिष्ठ बायोलॉजिस्ट, स्वामीनाथन एस ने बताया, “ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए जहां किसी का सामना भालू से हो या उसके हमला करने का खतरा हो, इस जानवर के बारे में ठीक से जानना आवश्यक है. हालाँकि वे पूरे दिन सक्रिय रह सकते हैं, लेकिन भालू रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं.

भालुओं के संरक्षण के लिए अभी और काम करने की जरूरत
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “भारत में जंगली स्लॉथ भालुओं की आबादी पर गौर करना आवश्यक है, खासतौर पर जब इस प्रजाति के संरक्षण की बात आती है तो अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है. आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने और भालुओं के बारे में जानकारी फैलाने के लिए इस वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे का एक अनोखा महत्व है. वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा कि जंगल में इस प्रजाति की आबादी के संरक्षण के लिए हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है.

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