Home पशुपालन लंपी को रोकने के लिए सरकार ने वन हेल्थ मिशन के तहत बनाया ये प्लान, एनडीआरएफ भी करेगी मदद
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लंपी को रोकने के लिए सरकार ने वन हेल्थ मिशन के तहत बनाया ये प्लान, एनडीआरएफ भी करेगी मदद

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. लंपी बीमारी गाय-भैस में होने वाला एक संकामक रोग है. राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड राज्यों में मवेशियों में लंपी बीमारी का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिससे भारी तादाद में पशु बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस बीमारी से मवेशियों की सभी उम्र और नस्लें प्रभावित होती हैं, लेकिन विशेष रूप से कम उम्र के दुधारू मवेशी अधिक प्रभावित होती हैं. इस रोग से पशुधन उत्पादन में भारी कमी आती है. ऐसे में यह अनुदेश प्रदेश के पशुपालकों को समय रहते बीमारी की पहचान एवं बचने के उपायों से अवगत कराने में सहायक सिद्ध होगी. यह एक विषाणुजनित रोग है जिसका कोई सटीक उपचार नहीं है. चिकित्सक के परामर्श से लक्षणात्मक उपचार किया जा सकता है. इतना ही नहीं इस खतरनाक बीमारी से निपटने के लिए सरकार ने नेशनल वन हेल्थ मिशन यानी एनओएचएम योजना की शुरूआत की है, जिसके तहत एक बड़ा प्लान तैयार किया जा रहा है.

राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड राज्यों के गाय-भैंसों में लंपी बीमारी का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिससे भारी तादाद में पशु बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस बीमारी से निपटने के लिए नेशनल वन हेल्थ मिशन यानी एनओएचएम योजना चलाई है. इस योजना के तहत एक देश स्तर पर एक बड़ा प्लान तैयार किया गया है. इस प्लान के तहत सात बिन्दुओं पर काम किया जाएगा. इसमें नंबर एक पर नेशनल और स्टेट लेवल पर बीमारी की जांच के लिए संयुक्त टीम गठित की जाएंगी. जब भी किसी भी प्रदेश में लंपी बीमारी फैलेगी तो ये संयुक्त टीमें सबसे पहले रेस्पांस करेंगी. इतना ही नहीं नेशनल लाइव स्टॉक मिशन की तरह से सभी पशुओं की बीमारी की निगरानी का एक सिस्टम तैयार किया जाएगा.

एनडीआरएफ का भी लिया जाएगा साथ
इस मिशन के तहत एक स्ट्रांग रेग्यूलेटरी सिस्टम को डेवलेप किया जाएगा. इसके तहत सबसे बड़ी बात ये है कि इस प्लाने के तहत बीमारी फैलने पर सबसे पहले किसान या पशुपालक को उसकी सूचना देने के सिस्टम पर कार्य किया जाएगा. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट आथिरिटी यानी एनडीआरएफ को भी इसमें साथ लिया जाएगा. जल्द ही इस गंभीर महामारी को कम करने के प्रयास किया जाएगा. इस बीमारी से मवेशियों की सभी उम्र और नस्लें प्रभावित होती हैं, लेकिन विशेष रूप से कम उम्र के दुधारू मवेशी अधिक प्रभावित होती हैं. इस रोग से पशुधन उत्पादन में भारी कमी आती है. ऐसे में यह अनुदेश प्रदेश के पशुपालकों को समय रहते बीमारी की पहचान एवं बचने के उपायों से अवगत कराने में सहायक सिद्ध होगी.

लंपी बीमारी के ये हैं लक्षण
—तेज बुखार (41 डिग्री सेल्सियस).
—आंख एवं नाक से पानी गिरना.
—पशुओं के पैरों में सूजन.
—वायरल संक्रमण के 7 से 19 दिनों के बाद पूरे शरीर में, कठोर, चपटे गांठ उभर आना.
—गाभिन पशुओं के गर्भपात.
—दुधारू गायों में दुग्ध उत्पादन काफी कम.
—पशुओं में वजन घटना शारीरिक कमजोरी.

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