नई दिल्ली. मध्य प्रदेश सरकार ग्रामीण इलाकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की और तेजी से कदम बढ़ा रही है. वहीं दूध उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ाना भी सरकार का लक्ष्य है. सरकार पशुपालन को फायदेमंद कारोबार में तब्दील भी करना चाहती है. यही सब वजह है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना की शुरुआत मध्य प्रदेश में की गई है. जिसे पहले मुख्यमंत्री पशु पालन विकास योजना के नाम से जाना जाता था. सरकार ने इस लिए योजना की शुरुआत है कि, किसानों, ग्रामीण रोजगार चलाने वालों को डेयरी कारोबार करने में मदद मिल सके.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कई बार कह चुके हैं कि दूध उत्पादन 20 फीसद तक करेंगे. यही वजह है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तहत सरकार द्वारा उद्योग आधारित डेयरी यूनिट्स को लगाने के लिए 42 लाख रुपए तक की मदद की जा रही है.
योजना के क्या हैं फायदे
सरकार की स्कीम के तहत एक लाभार्थी को 42 लाख तक की आर्थिक मदद मिल सकती है.
यूनिट में काम से कम 25 दुधारू पशु गाय भैंस होना जरूरी है.
अधिकतम 8 यूनिट यानी 255 तक डेयरी फार्म खोलने की इजाजत सरकार की ओर से मिलेगी.
अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लाभार्थियों के 33 विशेषज्ञ सब्सिडी जब भी आने पर वह 25वीं से सब्सिडी सरकार देगी.
सब्सिडी एक मुश्त रूप से 3 साल की लॉकइन अवधि के बाद दी जाएगी.
योजना का फायदा 7 साल या जब तक लोन चुकता ना हो जाए तब तक लिया जा सकता है.
किसे मिलेगा योजना का फायदा
आवेदक को मध्य प्रदेश का स्थाई निवासी होना चाहिए.
न्यूनतम उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए.
मान्यता प्राप्त संस्था से डेयरी फार्मिंग का ट्रेनिंग ली होनी चाहिए. तभी योजना का फायदा मिलेगा.
डेयरी यूनिट के लिए कम से कम 3.5 एकड़ जमीन की जरूरत होगी.
यदि भूमि संयुक्त है तो परिवार जनों की सहमति भी जरूरी है.
लाभार्थी पहले किसी अन्य पशु पालन योजना का फायदा ले चुका रहता है तो उसकी शर्ते अलग हैं.
लोन समय पर चुकाने की स्थिति में 2 साल बाद दोबारा आवेदन किया जा सकता है.
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