नई दिल्ली. पशुपालन में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो और प्रति पशु भी प्रोडक्शन बढ़े, इसको लेकर सरकार की ओर से तमाम कोशिशें हो रही हैं. वहीं प्रजनन में आने वाली तमाम दिक्कतों को भी दूर करने का प्रयास हो रहा है. इसी कड़ी में सरकार की ओर से आईवीएफ के जरिए गाय-भैंस का बच्चा लेने पर 5 हजार रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है. इस बात की जानकारी एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश सी शाह ने एनडीडीबी, आनंद में ‘आईवीएफ भ्रूणों की ग्रेडिंग और क्रायोप्रिजर्वेशन’ पर एक वर्कशॉप के मौके पर दी.
डॉ. शाह ने कहा कि भारत में पशु उत्पादकता को बढ़ावा देने में नस्ल सुधार कार्यक्रम की जरूरत है. आईवीएफ तकनीक के लिए सरकार कमिट है. जिसमें आईवीएफ-प्रेरित जन्मों के लिए प्रति गर्भावस्था पर 5,000 रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है. आरजीएम योजना ने देश भर में 36 आईवीएफ लेबोरेटरी की स्थापना की है. उन्होंने कहा कि आईवीएफ ने सेक्टर पेशेवरों का ध्यान आकर्षित किया है. बताते चलें कि इस दौरान सहायक प्रोफेसर और निदेशक, एमएस-एआरटी कार्यक्रम, कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए के फुलब्राइट डॉ जेनिफर बारफील्ड, नेहरू विशेषज्ञ कार्यक्रम के तहत एनडीडीबी के दौरे थे.
होगा ये फायदा
आईवीएफ में लागत के मुद्दे से निपटने के लिए, डॉ. शाह ने एक घोषणा की. उन्होंने इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड के सहयोग से, एनडीडीबी ने स्वदेशी आईवीएफ मीडिया ‘किट’ लॉन्च किया है. इस इनोवेशन का मकसद आईवीएफ के माध्यम से भ्रूण उत्पादन और गर्भावस्था की स्थापना से संबंधित खर्चों को कम करना है. उन्होंने यह भी बताया कि इस मीडिया का पहला पूरा सेट वर्कशॉप में मौजूद लोगों को फ्री दिया जाएगा. जिससे क्षेत्र के भीतर सहयोग और विकास को बढ़ावा मिलेगा. डॉ. शाह ने कहा कि डॉ. बारफील्ड के साथ चर्चा से आईवीएफ तकनीक की दक्षता और कामयाबी को बढ़ाने के लिए रणनीतियां सामने आएंगी.
ट्रेनिंग सेशन में मिली अहम जानकारी
सीनियर जनरल मैनेजर (पीई) डॉ. आरओ गुप्ता ने डॉ. शाह, डॉ. बारफील्ड, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड के अधिकारियों और वर्कशॉप के प्रतिभागियों का गर्मजोशी से स्वागत किया. उन्होंने डॉ. बारफील्ड का परिचय दिया और आईवीएफ क्षेत्र में उनके अनुभव पर बातचीत की. डॉ. गुप्ता ने भारत में ओपीयू-आईवीईपी तकनीक को लागू करने की अनूठी चुनौतियों की ओर इशारा किया और उम्मीद जताई कि प्रतिभागियों को डॉ. बारफील्ड के नेतृत्व में हुई चर्चाओं और ट्रेनिंग सेशन से अहम जानकारी मिली होगी.
बुनियादी ढांचे की तारीफ की
वहीं डॉ. बारफील्ड ने चूहों, बंदरों, बाइसन और इंसानों सहित तमाम प्रजातियों के भ्रूणों के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किया. उन्होंने वर्कशॉप के एजेंडे को रेखांकित किया, जिसमें IVF भ्रूणों की ग्रेडिंग और क्रायोप्रिजर्वेशन की पेचीदगियों पर ध्यान केंद्रित किया गया. डॉ. बारफील्ड ने NDDB में उन्नत OPU-IVEP-ET बुनियादी ढांचे सराहना की. जिसके बारे में उनका मानना है कि यह पूरे भारत में इस तकनीक को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगी.
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