Home पोल्ट्री Poultry Farming: महिलाएं मुर्गी पालन से कमा रही हैं 40 से 50 हजार रुपए महीना, बदल गई उनकी जिंदगी
पोल्ट्री

Poultry Farming: महिलाएं मुर्गी पालन से कमा रही हैं 40 से 50 हजार रुपए महीना, बदल गई उनकी जिंदगी

Backyard poultry farm: know which chicken is reared in this farm, livestockanimalnews
पोल्ट्री फॉर्म में मौजूद मुर्गे—मर्गियां. live stock animal news

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले की आदिवासी महिलाओं ने मुर्गीपालन करके खुद को आत्मनिर्भर बना लिया है. जिले की 30 गांवों की 500 से अधिक ग्रामीण महिलाएं मुर्गीपालन का व्यवसाय करके अपनी आ​जीविका चला रही हैं. महिलाएं इस काम से 40 से 50 हजार रुपए हर महीने कमा रही हैं. इतना ही नहीं इनकी मुर्गियों की मांग मध्य प्रदेश सहित छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और ओडिशा तक हो रही हैं. 2006 में 14 महिलाओं ने 1 लाख रुपए लोन लेकर इस व्यवसाय को शुरू किया था. इसके बाद धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता गया और 19 साल से फल-फूल रहा है.

सामान्य दिनों में मुर्गियों का उत्पादन 2 से 3 लाख टन होता है. विशेष दिनों होली, दीपावली और शादियों के सीजन में खपत बढ़ने से उत्पादन 10 लाख टन तक पहुंच जाता है. इस काम में समनापुर ब्लॉक के कुरैली गांव की 5वीं कक्षा तक पढ़ीं 38 वर्षीय चंद्रकली ने बताया कि वर्ष 2006 में प्रदान नामक एनजीओ की मदद से गांव की 14 महिलाओं ने मुर्गीपालन का काम शुरू किया था.

30 गांवों की महिमलाएं कर रहीं हैं मुर्गीपालन
बता दें कि करीब 150 की आबादी वाले कुरैली गांव की चंद्रकली से प्रेरित होकर मुर्गीपालन का यह कारोबार अब 30 गांवों तक पहुंच गया, जिसमें 500 ग्रामीण महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ गई हैं. चंद्रकली ने बताया कि मेरी मेहनत की बदौलत 2018 में लीडरशिप अवॉर्ड से मुझे नवाजा गया, जिसमें तीन लाख रुपए नकद के साथ पुरस्कार दिया गया. इसके बाद 2019 में लुधियाना में सम्मानित किया गया, जिसमें ढाई लाख रुपए नकद पुरस्कार दिया गया. वहीं 2007 तक शारदा समिति की अध्यक्ष थीं. इसके बाद मुझे एमपीडब्ल्यूसीसीएल का बोर्ड डायरेक्टर नियुक्त कर दिया गया. तबसे में इस जिम्मेदारी को निभा रही हैे.

500 महिलाएं जुड़ी हैं इस काम से
इस टीम की एक सदस्य ने बताया कि एस व्यवसाय से जुड़ने के बाद से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और जीवन स्तर में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. प्रदान समूह से जुड़ना हमारी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया. अपने अनुभव से कुछ समय बाद बचत का रास्ता अपनाया और एक-एक रुपए जोड़ना शुरू किया. आपको बता दें कि 30 गांव की 500 से अधिक महिलाएं इस व्यवसाय से जुड गईं हैं. मुर्गीपालक महिला को साल में चार से पांच टर्म मिलते हैं, जिसमें औसतन बालीस से पचास हजार रुपए वे कमा लेती हैं. मुर्गीपालन व्यवसाय के वार्षिक टर्न ओवर की राशि 16-18 करोड़ रुपए है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

पोल्ट्री

VIP 2nd National Symposium: पोल्ट्री सेक्टर को आगे ले जाने के लिए इसकी चुनौतियों से निपटने की है जरूरत

DAHD की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दोहराया. महिपाल...

सबसे अच्छी बात इस पक्षी के साथ यह है कि इसमें जल्दी बीमारी नहीं लगती है.
पोल्ट्री

Bater Palan Business: जापानी बटेर, कम लागत में जबरदस्त कमाई, जानें खास बातें

सबसे अच्छी बात इस पक्षी के साथ यह है कि इसमें जल्दी...

livestock
पोल्ट्री

Bird Flu: उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू की आशंका के बीच सरकार ने जारी की गाइलाइंस, पढ़ें यहां

मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि प्राणी उद्यान परिसरों को नियमित रूप से...

chicken meat
पोल्ट्रीमीट

Meat: देश के किस राज्य में सबसे ज्यादा हलाल किया जाता है चिकन

रेडी टू ईट फूड के कारण भी लोगों ने चिकन को तरजीह...