नई दिल्ली. गर्मी में पशुपालन करने वाले पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी चिंता पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने की होती है. क्योंकि हरे चारे के अंदर कई पौष्टिक गुण होते हैं. जिससे उत्पादन को बनाए रखने में मदद मिलती है. डेयरी फार्मिंग के काम में अगर पशुओं का उत्पादन कम हो जाता है तो फिर पशुपालकों को नुकसान होने लग जाता है. इसलिए उत्पादन में संतुलन बनाए रखने के लिए हरा चारा जरूरी होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी के दिनों में दुधारू पशुओं के लिए लेबिया के चारे की फसल फायदेमंद है. यह गर्मी और खरीफ मौसम की जल्द बढ़ने वाली फलोदार, पौष्टिक एवं स्वादिष्ट चारे वाली फसल है.
लोबिया की खेती सिंचित क्षेत्रों के अलावा बारानी क्षेत्रों में भी की जा सकती है. हरे चारे के अलावा दलहन, हरी फली सब्जी व हरी खाद के रूप में अकेले या फिर मिश्रित फसल के तौर पर भी लोबिया को उगाया जाता है.
लोबिया में होता है 25 फीसद प्रोटीन
मई में बोई गई फसल से जुलाई में इसका हरा चारा चारे की कमी बाले समय में उपलब्ध हो जाता है. अगर किसान लोबिया को ज्वार, बाजरा या मक्की के साथ 2:1 के अनुपात में लाइनों में उगाएं तो इन फसलों के चारे की गुणवता भी बढ़ जाती है. पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए लोबिया का चारा जरूर खिलाना चाहिए. इसके चारे में औसतन 15-20 प्रतिशत प्रोटीन और सूखे दानों में लगभग 20-25 प्रतिशत प्रोटीन होती है.
एक एकड़ में कितनी मिलेगी पैदावार
चारा अनुभाग के वैज्ञानिक डॉ. सतपाल ने बताया कि किसान लोबिया की उन्नत किस्में लगाकर चारा उत्पादन बढ़ा सकते हैं. लोबिया की सीएस 88 चारे की खेती के लिए सर्वोतम किस्म है. यह सीधी बढ़ने वाली किस्म है. जिसके पत्ते गहरे हरे रंग के तथा चौड़े होते हैं. इस किस्म की बिजाई सिंचित एवं कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में गर्मी तथा खरीफ के मौसम में की जा सकती है. इसका हरा चारा लगभग 50-60 दिनों में कटाई लायक हो जाता है. इस्के हरे चारे की पैदावार लगभग 140-150 क्विंटल प्रति एकड़ है.
इस तरह करें बिजाई
लोबिया की काश्त के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, लेकिन रेतीली मिट्टी में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. खेत की बढ़िया तैयारी के लिए 2-3 जुलाई काफी है. उन्होंने बताया कि पौधों की उचित संख्या व बढ़वार के लिए 16-20 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ उचित रहता है. लाइनों की दूरी 30 सेंटीमीटर रखकर पारे अथवा डिल द्वारा बिजाई करें. लेकिन जब मिश्रित फसल बोई जाए तो लोबिया के बीज को एक तिहाई मात्रा ही प्रयोग करें.
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