नई दिल्ली. पशुओं में निर्धारित उचित वृद्धि दर, दूध उत्पादन, प्रजनन क्षमता, रोग निरोधक क्षमता और बैलों में कार्य क्षमता बनाये रखने के लिये बेहद ही जरूरी है कि पशु आहार की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए. ताकि हर तरह पशु बेहतर प्रदर्शन कर सके. गौरतलब है कि भारत में पशु आहारों की गुणवत्ता के को लेकर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड, बीआईएस नई दिल्ली द्वारा कुछ पैरामीटर सुझाये गये हैं. संस्थान से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि इनकी जानकारी भी पशुपालकों को होनी चाहिए. ताकि पशुपालक अपने पशुओं से अच्छा उत्पादन ले सकें.
पशु आहारों की गुणवत्ता के लिये फूड इंग्रिडियंस का नमूना किसी भी नजदीकी प्रयोगशाला में ले जाना चाहिए और इसका टेस्ट करवाना चाहिए. परीक्षण के लिये नमूना इस प्रकार तैयार करने के लिये बोरों में से अलग-अलग जगहों से नमूने निकालकर उन्हें अच्छी तरह से मिश्रित कर लगभग 500 ग्राम नमूना निकट की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिये भेजें. इसके अलावा आप एक्सपर्ट द्वारा भी भौतिक परीक्षण करा सकते हैं. वो देखकर ही फीड की क्वालिटी को बता देगा. इससे पशुपालक को फीड के बारे में अंदाजा हो जाएगा.
भौतिक परीक्षण
यह परीक्षण विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है. इसके अंतर्गत निम्न बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए. इसमें बाहरी तत्वों जैसे कि रेत, कंकड़, विषैले खरपतवार के बीज, मिलावटी पदार्थ एवं अन्य चाय पदार्थों इत्यादि का परीक्षण छलनी से छानकर कर सकते हैं.
पशु आहारों में उपस्थित कौट एवं फफूंद की जांच करना आवश्यक है. इसलिए खाद्य पदार्थ को अच्छी तरह से जांच-परखें कि उनमें किसी प्रकार के कीट एवं फफूंद न हों अन्यथा यह पशुओं के लिये हानिकारक हो सकता है.
मवेशियों के आहारों व उनके इंग्रिडियंस का एक विशेष रंग, गंध, स्वाद होता है. इसमें कोई दुर्गंध, खट्टापन, कड़वापन या सड़न नहीं होनी चाहिए. आहार में उपयोग होने वाले अनाज कटे, बारीक, घुन लगे या गर्मी से प्रभावित नहीं होने चाहिये. ऐसे खराब अनाज के पौष्टिक तत्व कम हो जाते हैं व पशु उत्पादन को प्रभावित करते हैं.
रासायनिक विश्लेषण क्या है
पशुपालकों को अपने पशुओं के लिये आहार बनाने से पहले आहार एवं उसके घटकों की गुणवत्ता का परीक्षण नियमित रूप से प्रयोगशाला में करवाना चाहिये. पशु आहारों का रासायनिक विश्लेषण बी. आई.एस. के अनुसार पानी, कच्चे प्रोटीन, रेशे, वसा एवं अम्ल घुलनशील राख की जांच के लिए करवाना चाहिये. एक्सपर्ट का कहना है कि यदि ऐसा करवा लिया जाए तो पशुओं को दिए जाने वाला फीड गुणवत्ता वाला होगा और फिर पशुओं से बेहतर उत्पादन भी लिया जा सकेगा.
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