नई दिल्ली. गर्मी में पानी की जरूरत किसे नहीं होती है. जैसे-जैसे गर्मी की शिद्दत बढ़ती प्यास का अहसास ज्यादा होता है. कम पानी पीने से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. चाहे इंसान हो या फिर जानवर पानी की जरूरत तो सभी को है. जानवरों को पानी ज्यादा चाहिए होता है. खासतौर पर पशुपालकों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि गर्मी में जानवरों के शरीर में पानी कम न हो. अगर ऐसा होता है तो उन्हें परेशानियां हो सकती हैं. वहीं डेयरी पशुओं का उत्पादन कम हो जाता है.
डेयरी पशुओं (गाय, भैंस, बछड़ा बछियों) के लिए पेयजल की आवश्यकता की बात की जाए तो एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं के शरीर में उसके कुल शरीर भार का लगभग 70 प्रतिशत पानी की मात्रा होती है. जबकि दूध में लगभग 87 प्रतिशत जल की मात्रा होती है. यदि पशुओं के शरीर में 7 से 10 प्रतिशत जल की मात्रा कम हो जाय तो उनकी मृत्यु हो सकती है. इसलिए पशुओं के शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए.
गर्मी में तीन बार पिलाएं पानी
एक्सपर्ट के मुताबक पशुओं को पिलाया जाने वाला पानी स्वच्छ, शुद्ध, स्वादिष्ट, विष रहित तथा उसमें घुलनशील खनिजों की मात्रा न्यूनतम होनी चाहिए. बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया तथा परिजीवियों की संख्या शून्य होनी चाहिए. पशुओं को पेयजल की आवश्यकता उनके किस्म, शरीर भार, आहार की किस्म क्रिया शीलता एवं मौसम के ऊपर निर्भर करती है. पशुओं को पानी भरपेट (adlib) दिया जाना बेहतर होता है. फिर भी कम गर्मी में 3 बार तथा ठंड में 2 बार जल पिलाना ही चाहिए.
पानी की जरूरत क्यों होती है
- सामान्य स्थिति में गाय एवं भैंसों के शरीर हिफाजत के लिए. प्रत्येक एक लीटर दूध उत्पादन के लिए 27-28 लीटर पानी प्रतिदिन पिलाना चाहिए. 2 लीटर पेयजल यदि 5 लीटर दूध उत्पादन हो रहा है तो 10 लीटर अतिरिक्त जल की आवश्यकता होगी.
- गाय एवं भैंस के बछडे-बछियों के लिए
1- शीतकाल में 12 लीटर जल
2- ग्रीष्मकाल में 28 लीटर जल
- ओसर भैंस के लिए
1- शीतकाल में 27 लीटर जल
ग्रीष्मकाल में 55 लीटर जल
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