नई दिल्ली. गर्मी में पशुओं को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन दिक्कतों की वजह से पशु दूध उत्पादन कम कर देता है. यदि पशुओं का अच्छे ढंग से ख्याल रखा जाए तो उनके दूध उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ता है. जबकि पशु हेल्दी भी रहते हैं. जिस तरह से गर्मी में पशुओं को बीमारी से बचने के लिए पशुपालक प्रयासरत रहते हैं इस तरह से पशुओं के लिए पानी प्रबंधन भी करना बहुत जरूरी है. गर्मी के दिनों में पशुओं को ज्यादा पानी की जरूरत होती है.
ठंडा साफ़ सुथरा पीने का पानी हर समय पशुओं को उपलब्ध होना चाहिए. आम तौर पर एक स्वस्थ वयस्क पशु दिन में लगभग 75-80 लीटर तक पानी पी लेता है. चूंकि दूध में 85% तक जल होता है. अतः एक लीटर दूध देने के लिए ढाई लीटर अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है. गर्मियों में पशु शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में पानी भी काम आता है.
जहरीले तत्व बाहर निकल जाते हैं
पशु मादा रोग एंव प्रसूति विज्ञान विभाग, पशु चिकित्सा एवं पशु महाविद्यालय नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय की डॉ. सलीमा अहमदी क़ादरी, डॉ. एकनाथ विरेंद्र, डॉ. मनीष कुमार शुक्ला, डॉ. ओम प्रकाश श्रीवास्तव के मुताबिक पानी पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न अंगो तक पहुंचने तथा पेशाब द्वारा अवांछित एवं ज़हरीले तत्वों की निकासी के लिए उपयोगी है. ऐसा तभी होगा जब पशु ज्यादा से ज्यादा पानी पीएंगे या ये कहा जाए कि जितनी उन्हें पानी की जरूरत है वो उतना पीएंगे. इसलिए जरूरी है कि पशुपालक पशुओं को प्रर्याप्त पीने के लिए पानी देते रहें.
दिन में दो बार नहलाएं
दूध दोहन के 2 घंटे पहले पशु के शरीर और थन को धोएं तथा सुखएं. पशुओं को प्रतिदिन पानी से धोना चाहिए या दिन में पशु पर 15-20 मिनट के अंतर पर पानी छिड़कने से राहत मिलती है. गर्मी में भैंस तथा गाय को दो बार अवश्य नहलाना चाहिए. अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस के लिए पशु शाला के अन्दर स्प्रिंकलर लगा सकते हैं. भैंस के लिए तालाब होना महत्वपूर्ण है जिसमे भैंस कुछ देर तक रह सके. यह किफायती है और बिना किसी श्रम की आवश्यकता है. इससे भैंस की शारीरिक तापमान में कमी आती है. जब पशु पानी से बाहर आता है तो शारीरिक तापमान में तेज़ी से गिरावट आती है. अतः पशु जब पानी से बाहर निकले तो उसे छाया में रखकर सुखाएं फिर आवश्यकता अनुसार गर्म जगह या धूप में रखें.
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