Home पशुपालन Silage: किस तरह तैयार किया जाता है साइलेज, जानें इसके लिए कब करनी चाहिए फसल की कटाई
पशुपालन

Silage: किस तरह तैयार किया जाता है साइलेज, जानें इसके लिए कब करनी चाहिए फसल की कटाई

livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. आमतौर पर हरे चारे एवं घासों का उत्पादन बारिश के मौसम में बहुत ज्यादा होता है. जिसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता है. ऐसी स्थिति में पशुपालक अतिरिक्त हरे चारे को उन दिनों के लिए साइलेज बनाने के लिए कर लेते हैं जब चारे की कमी होती है. चारा संरक्षण की इस वैज्ञानिक विधि द्वारा हरे चारे की गुणवत्ता एवं पोषकता को कायम रखा जा सकता है. साइलेज बनाने की मेन वजह ये होती है कि ज्यादा चारे को सुरक्षित कर लिया जाए. ताकि जब पशुओं को हरे चारे की जरूरत हो तो उन्हें दिया जा सके और दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता बनी रहे.

साइलेज अधिक नमी वाले चारे को नियंत्रित फरमेंटेशन मेथड (किण्वन विधि) द्वारा तैयार किया जाता है. वहीं इसमें हरे चारे के पोषक तत्वों की उपलब्धता बनी रहती है. साइलेज बनाने की विधि में जिस भौतिक संरचना का प्रयोग किया जाता है उन्हें साइलोपिट कहते हैं. जब हरे चारे के पौधों को हवा की अनुपस्थिति में किण्वाकृत किया जाता हैं तो लैक्टिक अम्ल पैदा होता है. यह अम्ल हरे चारे को अधिक समय तक सुरक्षित रखने में सहायता करता है. साइलेज बनाने और उसके सुरक्षित रख रखाव के लिए खाई, गढ्ढ़ों या जमीन के ऊपर बने साइलों में भरा जाता है.

क्या-क्या किया जाता है
फरमेंटेशन का नियंत्रण या तो लैक्टिक अम्ल उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया को बढ़ावा देकर या हरे चारे में कमजोर अम्ल के घोल को सीधा मिलाकर या सोडियम मेटा बाईसल्फाइट जैसे परिरक्षक को मिलाकर किया जाता है. साइलेज बनाने की यह विधि जिसमें हरे चारे में मौजूद बैक्टीरिया ही फरमेंटेशन क्रिया को करते हैं, साधारण विधि कहलाती है और यही विधि प्रायः आम लोगों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है. इस विधि में हरे चारे में पाये जाने वाली घुलनशीलन शर्करा के टूटने के कारण पीएच कम होकर 3.8-4.2 तक आ जाती है और इस स्तर वाले साइलेज को अच्छे साइलेज कहा जाता है.

साइलेज के लिए कब काटी जाए फसल
साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त फसलों का चयनः साइलेज की गुणवत्ता पूर्ण रूप से चारा फसल के चुनाव पर निर्भर करती है. इसके लिये यह ध्यान में रखना अति आवश्यक है कि फसलों की कटाई सही समय पर की जाये. अच्छा साइलेज बनाने के लिए चारा फसलों की कटाई आमतौर पर फूल आने की अवस्था में करनी चाहिए. कुट्टी का आकार जितना छोटा होगा उतनी ही साइलेज गड्ढा भरने में हवा रहित वातावरण तैयार करने में आसानी होगी. बताते चलें कि साइलेज बनाने के लिये जिन गड्ढों का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें साइलो कहते हैं. आमतौर पर साइलेज बंकर साइलो, पिट साइलो एवं टावर साइलो में बनाया जाता है.

किन चीजों की होती है जरूरत
बंकर साइलो, पिट साइलो, टावर साइलो, उत्तम साइलेज बनाने की सफलता के मुख्य कारक और हरे चारे में नमी का प्रतिशत 65 से 75 होना चाहिए. जबकि साइलो गड्ढे से अधिकतम वायु को निष्कासित कर देना चाहिए. साइलो गड्ढे के तापमान को 30 से 38 सेन्टी ग्रेड करने के लिए उपयुक्त वातावरण को बढ़ावा देना चाहिए. कुछ दिक्कतें आएं तो कुछ चीजों को साइलेज फसल के साथ प्रयोग करना चाहिए. जैसे-शीरा 3-5 प्रतिशत, नमक 1-2 प्रतिशत, अनाज दाने 3-4 प्रतिशत, नीबू एवं मौसमी का छिलका इत्यादि । इसके अलावा सोडियम मेटा बाई सल्फाइट को भी मिलाया जा सकता है.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

गोवंश के लिए योगी सरकार ने समाज को भी इस अभियान का हिस्सा बनाते हुए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रखी हैं.
पशुपालन

Dairy: दुधारू पशुओं की सेहत से लार का क्या जुड़ाव है, जानें यहां

आपको बता दें कि कई बार एलर्जी और जहरीला पदार्थ खाने से...

अच्छी फसल और अच्छी नस्ल दोनों पशुपालन में मायने रखती हैं. ठीक उसी प्रकार बकरी पालन में भी ये नियम मायने रखता है.
पशुपालन

Goat: मीट और दूध उत्पादन के लिए पालें किस नस्ल की बकरी, जानें यहां

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो बकरी पालन में...

livestock animal news
पशुपालन

Goat: गाय-भैंस के मुकबाले क्यों बकरी पालन है ज्यादा फायदेमंद, पढ़ें यहां

ग्रामीण जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग जो गरीब है, बकरी के दूध...