नई दिल्ली. बकरी पालन एक बेहतरीन और बहुत ही फायदे का सौदा है. ग्रामीण इलाकों में बहुत से किसान बकरी पालन व्यवसाय में हाथ आजमा कर लाखों कमा रहे हैं. कृषि के साथ-साथ बकरी पालन करके भी किसान अपनी आय दोगुनी कर रहे हैं. इससे उन्हें जबरदस्त फायदा भी होता है. हालांकि बकरी पालन करने के दौरान कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. उसमें बकरी-बकरा प्रजनन का ध्यान भी रखना सबसे जरूरी होता है.
सही उम्र और स्वास्थ्य पर दें ध्यान
एक्सपर्ट कहते हैं यदि आप बकरी पालन कर रहे हैं और अपनी बकरियों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं तो आपको बकरी-बकरा प्रजनन का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. जिससे आपकी बकरियों की संख्या में तेजी के साथ इजाफा होगा. कम उम्र, कमजोर और कम वजन वाली बकरियां को गाभिन नहीं करने की सलाह विशेषज्ञ देते हैं. क्योंकि बकरियां में असामान्य जन्म की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए उचित उम्र और स्वस्थ शरीर वाली बकरियां को ही गाभिन कराने की सलाह विशेषज्ञ की ओर से दी जाती है.
गाभिन कराने का है ये सही वक्त
हीट में आई बकरियों को सही समय पर शुद्ध एवं अच्छी नस्ल की बकरे से गाभिन कराना चाहिए. बकरियों को गाभिन कराने का सही समय सर्दियों में 12 से 18 घंटे के बीच माना जाता है. जमुनापारी, बीटल, जखराना और सिरोही नस्ल की बकरियां 26 से 26 महीने पहली बार बच्चों को जन्म देती हैं. बरबरी, मालाबारी, ब्लैक बंगाल, और गंजाम नस्ल की बकरियां 12 से 15 महीने में पहली बार बच्चों को जन्म दे देती हैं.
इन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए
बकरी-बकरा प्रजनन के लिए इन बातों का जरूर ध्यान देना चाहिए. बकरी की उम्र 8 से 10 महीने की होनी चाहिए. बकरे को 12 से 14 महीने की उम्र में प्रजनन के लिए तैयार माना जाता है. बकरे और बकरी की नस्ल एक ही होनी चाहिए. यह सामान्य गुणों वाली होनी चाहिए. बकरे और बकरी स्वस्थ और फिट होने चाहिए. प्राकृतिक प्रजनन सबसे आसान तरीका है, इसमें बकरी को बकरे के साथ जोड़ा जाता है. कृत्रिम गर्भाधान के जरिए बकरे की शुक्राणु को बकरी की गर्भाशय में डाला जाता है.
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