नई दिल्ली. पशु पालकों के सामने एक परेशानी ये है कि भेड़-बकरी, गाय-भैंस के लिए पूरे साल हरे चारे का इंतजाम कैसे करें. जब चारे का इंतजाम नहीं हो पाता है तो बाजार से महंगे दाम पर खरीदना होता है. इससे पशुपालन महंगा हो जाता है और इससे साल में दो से तीन बार तक दूध के दाम भी बढ़ जाते हैं. हाल ये है कि सिर्फ गर्मी ही नहीं सर्दी और बरसात में भी हरा चारा नहीं मिल पा रहा है. जबकि भेड़-बकरी, गाय-भैंस के लिए उस चारे की ज्यादा जरूरत होती है जो दूध बढ़ाने वाला पौष्टिक भी हो और हर मौसम में आसानी से मिल जाए.
पशुपालन में हरा चारा बेहद जरूरी होता है. पशुपालन में बकरियों के लिए दाने और सूखे चारे के साथ हरा चारा उसके लिए बहुत ही जरूरी है. चारे से पशुओं को प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं. इसलिए साल भर अच्छे पोषण और दूध उत्पादन के लिए हरा चारा बहुत मायने रखता है.
ये हैं हरा चारा रखने के तरीके: साल भर हरा चारा रखने के लिए कुछ तरीके हैं। आप विभिन्न चारा फसलों को बुआई करके, साइलेज बनाकर और पेड़ लगाकर चारा की उपलब्धता को तय कर सकते हैं. हरे चारे के लिए बाजरा हाइब्रिड नेपियर/गिनी घास, लोबिया, मक्का, ज्वार, बरसीम, ल्यूसर्न और जई जैसी चारा फसलों को बुआई करके साल भर हरे चारे की उपलब्धता तय कर सकते हैं. खेतों के मेड़ पर चारा देने वाले पेड़ों को लगा सकते हैं. जैसे सहजन, बिलाइती बबूल, सहतूत आदि लगाने से हरे चारे की कमी के समय में उनसे चारा मिल सकता है.
शुष्क मौसम के लिए कर सकते हैं ये काम: कई शहरों में गर्म और शुष्क मौसम होता है, इसलिए पशुपालक गर्मी में चारा उगाने के लिए लोबिया, मक्का और ज्वार जैसी फसलों को बुआई कर सकते हैं.
कब बोया जा सकता है हरा चारा: हरा चारा वर्ष भर अलग-अलग समय में बोया जा सकता है, यह मौसम और चारे की किस्म पर निर्भर करता है. जैसे लोबिया, ज्वार, बाजरा जैसे चारे गर्मी में मार्च-जुलाई में बोए जा सकते हैं. बरसीम जैसे चारे सर्दियों के मौसम में अक्टूबर-नवंबर में बोए जा सकते हैं.
क्या है बारहमासी चारा: बारहमासी चारा घास एक प्रकार का शीत के मौसम की मैदानी घास है जो एक गुच्छे के प्रकार की घास होती है, जिसका अर्थ है कि यह पौधे के शीर्ष से बढ़ता है, न कि उन भागों द्वारा जो जड़ के रूप में बढ़ते हैं. बारहमासी घास में सजावटी घास, साथ ही मैदानी घास और बारहमासी चारा घास जैसे पौधे शामिल होते हैं.
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