नई दिल्ली. बकरी पालन में पशुपालक को सबसे ज्यादा नुकसान बकरियों की मौत के कारण ही होता है. यदि पशु पालक कुछ बातों का ध्यान रखें और बकरी—बकरों में होने वाले बदलाव पर ध्यान दें तो मृत्यु दर को घटाया जा सकता है. दराअसल, वो जब बीमार होते हैं तो उससे पहले कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. जिसकी पहचान पशुपालक खुद करके उनका समय से इलाज करवा सकते हैं. भेड़-बकरी की आंखों में होने वाले लक्षण को पहचान कर खतरनाक बीमारी का पता लगाया जा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरी के यूरिन की निगरानी से भी बहुत सारी बीमारियां पहले से पता चल जाती हैं.
पशुपालकों को हमेशा इसपर ध्यान देना चाहिए कि बकरी का यूरिन भूरे यानि हल्के पीले रंग का होना चाहिए. अगर गहरे पीले रंग का यूरिन आने लगे तो समझ जाएं कि बकरे-बकरी ने पानी कम पिया या फिर उन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या ने जकड़ लिया है. इसके अलावा यूरिन ज्यादा गहरा पीला हो जाए तो उसमें लालपन आ जाए तो ये यूरिन की जगह पर कोई चोट लगने के लक्षण हैं. वहीं यूरिन कॉफी कलर का हो जाए तो खून में इंफेक्शन इसकी वजह है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर छोटी-छोटी बातों को ध्यान दिया जाए और बकरियों की निगनानी की जाए तो बकरियों को होने वाली बीमारी पता पशु पालक समय रहते और खुद लगा सकता है.
सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. आरएस पवैया कहते हैं कि पशु पालक ये सोचते हैं कि जब डॉक्टर के पास बकरी को ले जाएंगे तो उसकी बीमार के बाारे में पता चलेगा. जबकि उसमें होने वाले बदलावों से पशुपालक उसके बीमार होने का पता खुद ही लगा सकते हैं. कहा कि भेड़-बकरी के अंदर जब हिमोकस नाम का पैरासाइड जब पलने लगता है तो भेड़-बकरी की आंखें इसका संकेत देती हैं. क्योंकि हिमोकस भेड़-बकरी का खून चूसता है और जब यह खून चूसने लगता है तो इसकी संख्या में भी इजाफा हो जाता है.
जब स्वस्थ भेड़-बकरी होती है तो इसकी आंखें एकदम से चमकीली लाल-गुलाबी नजर आएंगी. वहीं उनके पेट में हिमोकस है तो आंख हल्की गुलाबी हो जाती है. फिर जिस रफ्तार से हिमोकस की संख्या बढ़ेगी तो भेड़-बकरी की आंख सफेद पड़ सकती हैं. जो इस बात का संकेत है कि भेड़ या बकरी में खून की कमी हो रही है. ऐसे में बकरी का हेल्थ चेकअप कराना चाहिए और डॉक्टर से भी संपर्क करना चाहिए.
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