Home पशुपालन कैसे करें गर्मियों में दुधारू पशुओं की देखभाल, जिससे वे ना पड़ें बीमार, यहां जानिए पूरी जानकारी
पशुपालन

कैसे करें गर्मियों में दुधारू पशुओं की देखभाल, जिससे वे ना पड़ें बीमार, यहां जानिए पूरी जानकारी

इस मौसम में जब पशु डिहाइड्रेट होते हैं तो उनकी खाल में झुर्रियां दिखाई देती हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली। दूध देने वाले पशुओं को हर मौसम में अच्छी देखभाल की जरूरत होती है. अब मौसम बदल रहा है और कुछ ही दिनों में गर्मियां आने वाली हैं. गर्मियों में पशुओं को अच्छी स्वस्थ्य रखना बेहद जरूरी है. किस प्रकार उनकी सेहत की देखभाल करें और बढ़ते तापमान में कैसे उनका ख्याल रखें ये जानना बेहद जरूरी है. अगर उनकी सेहत अच्छी रहेगी तो दूध भी अच्छा देंगे. अगर पशु बीमार नहीं होंगे तो गर्मियों में दूध भी भरपूर देंगे और पशु व्यापारी को मुनाफा भी अच्छा देंगे. गर्मियों में दुधारू पशुओं की विशेष देखभाल और रख रखाव की जरूरी है. इस समय तापमान अधिक रहता है, जिसके कारण पशुओं का शारीरिक तापमान ज्यादा हो जाता है और वह तनाव में रहता है. इसलिए वे पर्याप्त मात्रा में आहार नहीं ले पाते हैं और काम करने की क्षमता में कमी और बीमार पड़ने की संम्भावना बढ़ जाती है.


गर्मी से पशु का दुग्ध उत्पादन, दुग्ध प्रक्क्रमण एवं व्यावसायीकरण पर विपरीत असर पड़ता है. दूध की मात्रा भी 8 से 10 प्रतिशत कम हो जाती है, जिससे दूध के दाम की बढ़ोतरी होती है. ऐसा नहीं कि इसका प्रभाव सिर्फ मौसमी हो बल्कि पशु के औसत वार्षिक उत्पादन, दूध में प्रोटीन सामग्री, एसएनएफ्फ मात्रा और वसा में कमी होती है, जिससे दूध की गुणवत्ता घटती है. थनैला रोग और थन में संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है. प्रजनन में गिरावट होने के करण गर्भपात हो सकता है और अगर गर्भधारण होता है तो कमज़ोर बच्चे के जन्म होने की संम्भावना रहती है. पशु में उत्तेजना अनियमित काल में आती है, इसलिए अंडाशय में सिस्ट जैसे रोग पैदा होते है। जिससे प्रजनन गुणवत्ता कम होती है, इसके अलावा दस्त भी होता है.

गर्मी से पशुओं को बचाने के उपाय

पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए निम्रलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए:-

आवास प्रबंधन – प्रत्येक गाय एवं भैंस के लिए कम से कम 5.5 फीट चौड़ी और 10 फीट लम्बी पक्की जगह होनी चाहिए

फर्श खुरदुरा होने के साथ नाली की सुविधा और उसके लिए सही ढलान बनाएं

पशुओं के आवास की छत 15 फीट ऊंची होनी चाहिए. यह ईंट या फूस की हो सकती है. छत को पुआल या पत्ते से ढकना चाहिए इससे आवास के अंदर गर्मी को कम कर सकते हैं. ध्यान रहे कि पशु घर तीन तरफ से खुला हो. केवल पश्चिम दिशा में दीवार रहे. पशु घर की छत की ऊंचाई पर 3 x 1.5 फीट के खुले रोशनदान आवश्यक है ताकि ताज़ी हवा आ सके. दिन के समय खिड़की या घर के खुले भाग में बोरी ढके और पानी से समय-समय पर भिगोना चाहिए.

  • पशु घर की पश्चिमीं दीवार पर 2 फीट चौड़ी और 1.5 फीट गहरी नांद बनाए. नांद का आधार भूतल से 1 फीट ऊपर रहे. नांद के साथ स्वच्छ जल की व्यव्स्था होना जरूरी है
  • दोपहर के समय पशुओं को घर के अन्दर या पेड़ की छांव के नीचे रखना चाहिए
  • पशु घर में आसपास घास या पेड़ रहना चाहिए इससे आवास के अन्दर गर्मी कम होती है. पूर्वी दिशा में पशुओं के घूमने का क्षेत्र बना हो तथा इस क्षेत्र में 2-3 छायादार पेड़ लगाने चाहिए. अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस के लिए पंखा आवश्यक है. बाज़ार में एसी मशीन उपलब्ध है जो स्वचालित प्रशीतलन प्रणाली (Automatic Cooling System) द्वारा पशु आवास को ठंडा रखती हैं, एक मशीन 4 से 10 पशुओं के लिए पर्याप्त है।
  • पानी का प्रबंधन :-
  • ठंडा साफ सुथरा पीने का पानी हर समय पशुओं को उपलब्ध होना चाहिए. आम तौर पर एक स्वस्थ वयस्क पशु दिन में लगभग 75-80 लीटर तक पानी पी लेता है. दूध में 85 प्रतिशत तक पानी होता है, इसलिए एक लीटर दूध देने के लिए ढाई लीटर अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है. गर्मियों में पशु शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में पानी भी काम आता है. पानी पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचने और पेशाब द्वारा ज़हरीले तत्वों निकालने के लिए उपयोगी है.
  • दूध दोहन के दो घंटे पहले पशु के शरीर और थन को धोएं और सुखाएं. पशुओं को प्रतिदिन पानी से धोना चाहिए या दिन में पशु पर 15-20 मिनट के अंतर पर पानी छिड़कने से राहत मिलती है. गर्मी में भैंस और गाय को दो बार अवश्य नहलाना चाहिए. अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस के लिए पशु शाला के अन्दर स्प्रिंकलर लगा सकते है. भैंस के लिए तालाब होना महत्वपूर्ण है, जिसमे भैंस कुछ देर तक रह सके. यह किफायती है और बिना किसी श्रम की आवश्यकता है, इससे भैंस की शारीरिक तापमान में कमी आती है. जब पशु पानी से बाहर आता है तो शारीरिक तापमान में तेज़ी से गिरावट आती है इसलिए पशु जब पानी से बाहर निकले तो उसे छाया में रखकर सुखाएं फिर आवश्यकता अनुसार गर्म जगह या धूप में रखें.

3) चारा प्रबंधन :- गर्मी के समय पशुओं को हरा चारा देना चाहिए. पशुओं को प्रतिदिन सुबह और शाम को दिन के ठंडे समय पर भूसा या दाना देना चाहिए. पशुओं को खनिज मिश्रण खिलाना महत्वपूर्ण है. यह शरीर के पदार्थ को संतुलित बनाए रखते हैं, चारा और दाने का 70:30 अनुपात कुल पशु खाद्य में रहना चाहिए. अच्छी गुणवत्ता के दाने का मिश्रण पशुओं को खिलाना चाहिए क्योंकि गर्मियों में पशु कम खातें है. दाने का मिश्रण बाज़ार से खरीद सकते है या घर में बना सकतें है.

चराना : पशुओं को गर्मी के मौसम में सुबह या शाम को चराना चाहिए. दोपहर के समय पशुओं को नहीं चराएं, अगर संभव हो तो पशुओं को रात में चरा सकतें है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Animal Husbandry: Milk animals can become sick in extreme cold, adopt these methods to protect them from diseases.
पशुपालन

Animal Husbandry News: पशुपालन को मिला कृषि का दर्जा, पशुपालकों मिलेंगे ये बड़े फायदे

चिकन की डिमांड पूरी करने के लिए 25 हजार ब्रॉयलर, मुर्गी अंडे...

ppr disease in goat
पशुपालन

Goat: बकरियों को चारा उपलब्ध कराने में आती हैं ये रुकावटें, पढ़ें यहां

बताया कि बकरियाँ सामान्यत बेकार पड़ी जमीन, सड़क के किनारे नदी व...

langda bukhar kya hota hai
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं की बरसात में देखभाल कैसे करें, यहां पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह

डेयरी फार्म में पशुओं के मल-मूत्र की निकासी का भी उचित प्रबंधन...