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Poultry: फीड नहीं खा रही हैं मुर्गियां तो हो सकती है ये गंभीर बीमारी, जानें क्या हैं इसके नुकसान

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अंकलेश्वर नस्ल की फोटो.

नई दिल्ली. मुर्गियों में कई बीमारियां होती हैं जो प्रोडक्शन और ग्रोथ पर असर डालती हैं. हालांकि कई ऐसी बीमारियां हैं जो पूरे पोल्ट्री कारोबार को ही नुकसान पहुंचा देती है. मारेक्स रोग, मुर्गियों और कुछ अन्य पक्षियों को भी होता है. यह एक वारयल बीमारी है. ये बीमारी गालिड हेरपेस वायरस की वजह से मुर्गियों को होती है. इसे एमडी या फाउल पैरालिसिस भी कहा जाता है. यह बीमारी का नाम पशु चिकित्सक जोसफ मारेक के नाम पर रखा गया है. जब ये बीमारी होती है तो मुर्गियां कमजोर होने लगती हैं. इसका असर प्रोडक्शन पर पड़ता है.

मारेक्स बीमारी की बात की जाए तो ये संक्रामक रोग है जो सांस के ज़रिए फैलता है. संक्रमित पक्षियों के पंख के रोम से वायरस पर्यावरण में फैलता है और लंबे समय तक इसका वायरस रहता है. ये बीमारी कमर्शियल मुर्गियों और बैकयार्ड फार्मिंग में मुर्गियों को प्रभावित करती है. इस बीमारी में मृत्युदर की वजह से बहुत नुकसान होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि यह रोग कई नसों में बदलाव का कारण बनता है और प्रमुख आंतरिक अंगों में ट्यूमर का कारण बन सकता है. हालांकि टीकाकरण करके संक्रामक वायरस के प्रसार को कम किया जा सकता है, लेकिन रोका नहीं जा सकता.

फीड लेने में होती है दिक्कत
यह रोग वायरस (हरपीज वायरस) द्वारा फैलता है. इसका प्रसार मुर्गी के पंखों के जरिए होता है. संक्रमित लार, मल एवं हवा द्वारा भी यह रोग फैलता है. मक्खी, मच्छर, बीट आदि से भी रोग फैलता है. इतना ही नहीं कई चूजे बिना किसी लक्षण के भी मर जाते हैं. ज्यादातर बीमार पक्षियों के पैरों, पंखों, गर्दन आदि अंगों में मामूली या पूरी तरह से लकवा पाया जाता है. लकवे के कारण मुर्गियां आहार-पानी उचित मात्रा में ग्रहण नहीं कर पाती हैं. बीमारी का प्रथम लक्षण असाधारण पंख एवं बढ़ोतरी है.

एक दिन के चूजे को लगाना चाहिए वैक्सीन
इस बीमारी के लक्षण तीन माह की उम्र के पक्षियों में अधिक पाये जाते हैं. एक पैर आगे रह सकता है तथा एक मुड़ा हुआ भी रह सकता है. पंख गिरे हुआ रहता है. पक्षी लंगड़ा कर चलता है. सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आंखें सूजी व स्लेटी रंग की महसूस होती हैं. अन्दरूनी आंगों में छोटे और बड़े दोनों तरह के ट्यूमर पाये जाते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि एक दिन के चूजे को हैचरी में ही इस रोग से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाना चाहिये. इस रोग का टीका ब्रायलर व लेयर दोनों प्रकार की मुर्गियों में लगाना चाहिये.

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