नई दिल्ली. पशुधन से ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने के लिए चारागाह प्रबंधन आज की जरूरत है. चारागाह, पशुओं के लिए कम लागत में लम्बे समय तक पोषण देने के लिए बहुत प्रभावी तरीका है लेकिन चारागाह को सही तरीके से काम में नहीं लिया जाये तो जल्द ही इसकी उपयोगिता समाप्त हो जाएगी. ऐसे चारागाहों पर पशु के चरने से उनके शारीरिक विकास और उत्पादन में कमी आती है. पशुधन के लम्बे समय तक चारागाह में चरने से भूमि की उपयोगिता कम होती है व मृदा अपरदन को बढ़ावा मिलता है.
जबकि अनिंयत्रित चराई से पौधों व घास की पत्तियों के कम होने से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है जो कि उसके इजाफे को और कम कर देती है, ऐसी कमजोर घास खरपतवारों को बढ़ावा देती है व उपयोगी घास धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है. एक किसान या समुदायी स्तर पर एक गांव की किसी चारागाह को अथवा गोचर भूमि को कुछ नियंत्रित चराई के तरीकों से उस की उपयोगिता को बनाये रख सकते हैं.
खर्चे को कम किया जा सकता है
पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर के डॉ. प्रियंका कुमारी, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. सीताराम गुप्ता और डॉ. दिनेश जैन का कहना है कि चराई नियन्त्रण का मुख्य उदेश्य पशुधन को चारागाह से कम लागत में अधिक से अधिक पोषक तत्व प्रदान करना है. इसके अलावा खाद का बेहतर वितरण, मृदा अपदरन को रोकना, बेहतर चारागाह गुणवत्ता प्रदान करना भी है. ताकि पशु आहार में दाने की मात्रा को कम करके खर्चे को कम किया जा सके. साथ ही हरे चारे की उपलब्धता को बढ़ाया जा सके. नियंत्रित चराईः एक चारागाह/गोचर भूमि में या तो पशुओं की 3. संख्या निश्चित हो या चराई का मौसम निश्चित हो. स्थगित चराईः- गर्मियों में चराई को रोक देना चाहिए. घुमावदार चराईः- यह चराई नियंत्रण का सबसे बेहतर तरीका है.
इस तरह से चराएं
चारागाहों को कई भागों में बांट दें. तथा पशुओं को बारी-बारी से उनमें छोड़ दें. जैसे चारागाह को तीन भागों में बाँट दे ‘अ’, ‘ब’ व ‘स’ 6. पहले एक महीने सभी पशुओं को भाग ‘अ’ में छोड़ दे उसके बाद दूसरे महीने ‘ब’ तथा तीसरे महीने भाग ‘स’ में छोड़ें. उसके बाद फिर सभी को एक महीने ‘अ’ में यह प्रकिया दोहराएं. घुमावदार चराई में पशुओं की उत्पादकता के अनुसार भी पशुओं को छोड़ सकते हैं. जैसे भाग ‘अ’ में सबसे पहले ज्यादा उत्पादन देने वाले पशुओं को व अन्त में कम उत्पादन देने वाले पशुओं को इसी तरह भाग ‘ब’ में व भाग ‘स’, में चारागाह प्रबन्धन पशुओं तथा पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद है.
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