नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग किया जाए तो इससे खूब कमाई की जा सकती है. पोल्ट्री कारोबार हर साल 14 फीसदी की तेजी के साथ ग्रोथ कर रहा है. जिस वजह से एक्सपर्ट खासतौर पर किसानों को इस क्षेत्र में उतरने की सलाह देते हैं. एक अनमुमान के मुताबिक छोटे पैमाने पर पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए सिर्फ 50 हजार रुपये की जरूरत होती है. इससे बड़े लेवल पर करते हैं तो 1 से डेढ़ लाख में इस कारोबार को शुरू किया जा सकता है. जिसे मध्यम स्तर के पोल्ट्री व्यवसाय श्रेणी में रखा जा सकता है. वहीं बड़े पैमाने पर पोल्ट्री फार्म के लिए 7 लाख रुपये तक की जरूरत होती है.
एक्सपर्ट का कहना है कि निलचे स्तर पर पोल्ट्री फार्मिंग करना चाहते हैं या बड़े स्तर पर, इसके बारे में जानकारी करना बेहतर है. बिना जानकारी किए अगर पोल्ट्री फार्मिंग करते हैं तो हो सकता है नुकसान भी उठाना पड़ जाए. यहां आपको हम दो नस्लों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे आप पोल्ट्री फार्मिंग शुरू कर सकते हैं.
हरिनघाटा काला
इस मुर्गी नस्ल का मूल स्थान पश्चिम बंगाल राज्य है. यह मुर्गी छोटे आकार और लेयर की क्वालिटी वाली होती है. इस मुर्गी का रंग स्याह काला व लाल रंग की कलगी और वेटल्स के साथ टांग का रंग सफेद होता है. यह नस्ल बेहद सतर्क, घूमने वाली और अपमार्जक व परभक्षी के आक्रमण से बचने में सक्षम है. इस पोल्ट्री नस्ल को किसान, फसल के अवशेष और रसोई कचरे गैरजरूरी चीजों को खाकर पल जाते हैं. इस नस्ल की अंडे सेने और मातृत्व की क्षमता का उपयोग किसान दूसरी मुर्गी के अंडे और यहां तक कि बत्तखों के अंडे के सेने में उपयोग करते हैं. तैयार हो चुके मुर्गे और मुर्गी का औसत शरीर भार 1.5 किग्रा और लगभग 1.2 कि ग्रा होता है. हर साल मुर्गी 100-120 अंडों का उत्पादन करती है.
निकोबारी
यह पोल्ट्री नस्ल मूल रूप से अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में पाई जाती है और स्थानीय तौर पर इसको ‘टेकनीट हाइम’ के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ होता है छोटे पैर वाला मुर्गा. निकोबारी कुक्कुट मध्यम आकार का सुगठित शरीर अनुरूपता वाला एक भूरा मटमैला रंग का मजबूत पक्षी होता है. ये पक्षी ज्यादातर एक कलगी युक्त होते हैं और कभी-कभी ही मटर जैसी कलगी के होते हैं. वेटल्स और कर्णपाली गुलाबी रंग के होते हैं. इनकी छोटी और मोटी गर्दन होती है. उभरा हुआ चेस्ट होता है. मध्यम आकार की पूंछ तथा पूंछ के लम्बे पंख होते हैं. यह कुक्कुट अपेक्षाकृत छोटे आकार (40-45 ग्रा) के लगभग 120-140 अंडे देते हैं. इस नस्ल के 3 प्रकार हैं. भूरा, काला और सफेद. इस नस्ल पर रानीखेत और मैरक्स रोगों का असर नहीं होता है.
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