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Duvasu: इन पांच कोर्स में सीखें बकरी पालन की बारीकियां

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शेड में किया जा रहा बकरी पालन. live stock animal news

नई दिल्ली. बकरी को लघु और छोटे किसानों की गाय कहा जाता है. बकरी पालन बहुत ही मुफीद व्यापर बनता जा रहा है. बकरी पालन करके अच्छी खासी इनकम कमाई जा सकती है. बकरी पालन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आय बढ़ाने का एक बेहतरीन जरिया बनता चला जा रहा है. बहुत से किसान बकरी पालन करके दूध और मीट से अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. बताते चलें कि पिछले कुछ वर्षों में बकरी के दूध की भी डिमांड बाजार में बढ़ गई है. इसके चलते इसे अच्छी खासी कमाई होती है.

हालांकि बकरी पालन करने के लिए सबसे जरूरी यह है कि बकरी पालक को इसके संबंध में पूरी जानकारी हो. मसलन, बकरी कर रहन-सहन उनका खान-पान उनकी बीमारियों के बारे में यदि बकरी पालन को जानकारी नहीं है तो इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. बताते चलें कि गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की तरफ से पांच तरह का ट्रेनिंग ट्रेनिंग कैंप चलाया जाता है. जिसमें किसानों के साथ—साथ वेटनरी आफिसर तक को ट्रेनिंग दी जाती है.

पांच कोर्स में पूरी जानकारी
संस्थान की ओर से पांच तरह के कोर्स हैं. पहले कोर्स के तहत बकरी ट्रेनिंग और गोट मैनेजमेंट के बारे में जानकारी दी जाती है. यह तमाम किसानों के लिए है. दूसरे तीन दिवसीय कोर्स में पशु सखी के तहत महिला किसानों को बकरी की ब्रीड, फार्म विजिट के साथ-साथ और तमाम जानकारी दी जाती है. तीसरा कोर्स भी 3 दिन का है. इस ट्रेंनिंग माड्यूल में तमाम किसानों को ट्रेंड किया जाता है. चौथे कोर्स के तहत बकरियां में आर्टिफिशियल इंसमेशन की जानकारी वेटरनरी ऑफिसर्स को दी जाती है. जबकि 6 दिवसीय एक अन्य कोर्स में भी ट्रेनिंग मॉड्यूल और गोट मैनेजमेंट के बारे में बकरी वेटरनरी ऑफिसर्स को ट्रेंड किया जाता है.

बकरी पालन में क्या है संभावनाएं
सिर्फ पहले कोर्स के बारे में ही बात करें तो इसमें पहले दिन फार्म का दौरा कराया जाता है. फिर बकरी पालन की संभावना, फार्म का दौरा और खेत में विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया जाता है. दूसरे दिन बकरी की नस्लें/पोषण, बकरी की विभिन्न नस्लों की पहचान, दूध एवं मांस प्रयोजन वाली नस्लों की पहचान, पशु का चयन, बकरी का पोषण- दूध पिलाने वाली एवं गर्भवती प्रजनन हिरन का पोषण की जानकारी दी जाती है. तीसरे दिन बकरी आवास का प्रबंधन, बच्चों का प्रबंधन और भोजन प्रबंधन आदि.

चौथे और पांचवे दिन क्या बताते हैं
चौथे दिन-4 टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, स्त्री रोग प्रबंधन, टीकाकरण अनुसूची, वैक्सीन प्रबंधन, टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, एस्ट्रस का पता लगाना और बकरियों से सम्बंधित प्रारंभिक समस्याएं के बारे में जानकारी. पांचवे दिन सहायक प्रजनन, तकनीक/सहायक
आय स्रोत/बाजार, अवसर, बकरियों में एआई, गोबर प्रबंधन, गोबर रचना, और कृमि-रचना-तैयारी और पैकेजिंग और बकरियों की खरीद—फरोख्त के बारे में बताया जाता है.

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