नई दिल्ली. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना के विस्तार शिक्षा निदेशालय ने डेयरी पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने की चुनौतियों पर चर्चा करने और उनका समाधान करने के लिए “डेयरी पशु उत्पादन में प्रगति” पर विश्वविद्यालय के संकाय, केवीके, आरआरटीसी और पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सा अधिकारियों का पहला अनुसंधान-विस्तार इंटरफेस आयोजित किया. इस दौरान कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पशुधन क्षेत्र में लेटेस्ट इनोवेशंस के बारे में जानकारी का प्रसार पशुपालन में शामिल किसानों की सबसे बड़ी जरूरत है. विस्तार कार्यकर्ताओं की एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वे किसानों को इन इनोवेशंस को अपनाने में मदद करें.
उन्होंने कहा कि इससे पशुधन उत्पादन में काफी सुधार हो सकता है और किसानों को फायदा हो सकता है. इसलिए, उन्हें इस क्षेत्र में नवीनतम विकास के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए.
टेक्नोलॉजी के बारे में बताया
वहीं विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह बराड़ ने कहा कि विश्वविद्यालयों, केवीके और राज्य सरकार के लाइन विभागों की विस्तार सेवाओं को किसानों को पशुपालन से संबंधित ज्ञान और तकनीकी इनपुट से लैस करने के लिए अभिनव तरीकों की तलाश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसान-हितैषी टेक्नोलॉजी को विकसित करने के लिए अनुसंधान-विस्तार संबंधों को मजबूत किया जाना चाहिए. जिन्हें किसान आसानी से अपना सकें. अनुसंधान-विस्तार इंटरफेस रिसचर्स और विस्तार कार्यकर्ताओं के लिए नॉलेज प्रसार और कृषक समुदाय को टेक्नोलौजी ट्रांसफर के लिए गहरे सहयोग विकसित करने का रास्ता साफ होगा.
चारे की गुणवत्ता पर दिया जोर
विस्तार शिक्षा के अतिरिक्त निदेशक डॉ. परमिंदर सिंह ने डेयरी पशुओं के लिए चारे की गुणवत्ता और मानकों पर अपने विचार साझा किए. जिसमें उन्होंने डेयरी पशुओं के आहार को डिजाइन करने की मुख्य जरूरतों के बारे में बताया. डॉ. आर एस ग्रेवाल ने संतुलित पोषण सुनिश्चित करने के लिए डेयरी पशुओं को साइलेज तैयार करने और खिलाने की लेटेस्ट कांसेप्ट के बारे में बात की. डॉ. एम होनपारखे ने प्रबंधन प्रथाओं और रोग की रोकथाम के संयोजन के माध्यम से उत्पादन में सुधार के साधन के रूप में डेयरी पशुओं की प्रजनन क्षमता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया. पशु उत्पादन बढ़ाने के लिए डेयरी किसानों और विशेषज्ञों के सामने आने वाली समस्याओं और चुनौतियों के साथ-साथ आवश्यकता-आधारित संयुक्त अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों के संचालन की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई.
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