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Goat Farming: सर्दी के मौसम में बकरी को होती है ये लाइलाज बीमारी, बचाने के लिए क्या करें

ppr disease in goat
बीटल बकरी, goatwala.com

नई दिल्ली. अक्सर बकरियां बीमार पड़ जाती हैं तो उनका प्रोडक्शन कम हो जाता है. बकरियां खाना छोड़ देती हैं और दूध के उत्पादन में भी कमी कर देती हैं. खाना छोड़ देने की वजह से उनका शरीर दुबला पतला होने लगता है और दूध का उत्पादन न होने से भी पशुपालक को तुरंत नुकसान होना शुरू हो जाता है. सर्दी के मौसम में बकरियों को सबसे ज्यादा कोई बीमारी होती है तो वह है पोंकनी. जिसे भारत में सांस रोग या राइनिपेस्ट नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं कि यह बीमारी क्यों होती है, इसके लक्षण कौन-कौन से हैं और इससे कैसे बकरियों को बचाजा सकता है.

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण
गोट एक्सपर्ट कहते हैं कि ये रोग एक वायरस विषाणु से होने वाला संक्रामक रोग है. यह बीमारी गाय, भैंस, भेेड़ और सूअर को भी प्रभावित कर सकती है. पोंकनी रोग के लक्षण आमतौर पर संक्रमित पशुओं में 10 से 14 दिन के बाद दिखाई देने शुरू हो जाते हैं. अगर उनके लक्षणों की बात की जाए तो बकरी को बुखार होना, नाक-कान से पानी निकलना, खांसी आना प्रमुख है. वहीं छींकना, आंखों का लाल होना, मुंह और जीभ में घाव इसके अलावा दूध उत्पादन में भी कमी होना इसके लक्षण में शामिल हैं.

इस मौसम में रखें बकरी का खास ख्याल
पोंकनी बीमारी से संक्रमित जानवरों की मृत्यु दर की बात की जाए तो 50 फीसदी है. इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है, लेकिन संक्रमित जानवरों को दर्द निवारक एंटीबायोटिक दिए जा सकते हैं. पोंकनी बीमारी को रोकने के लिए पशुओं को टीका भी लगाया जा सकता है. भारत में इस बीमारी को सांस रोग भी कहते हैं. यह बीमारी सबसे ज्यादा सर्द मौसम में होती है. इस वजह से सर्दी के मौसम में बकरियों का खास ख्याल रखने की हिदायत एक्सपर्ट देते हैं.

ये उपाय करें बीमारी नहीं आएगी करीब
बकरी विशेषज्ञ कहते हैं कि पोंकनी बीमारी से बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं. इसके लिए गोट पालक को फॉर्म को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए. संक्रमित पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखना चाहिए. पशुओं को नियमित रूप से टीका लगाया जाना चाहिए. पशुओं को स्वच्छ और स्वस्थ स्थिति में रखें. संक्रमित सामग्री से बचाए. संक्रमित जानवरों के मलमूत्र और लार को सावधानी से निपटाएं. यदि गोट पालक इन बातों का ख्याल रखे तो पोंकनी बीमारी से बकरियों को बचाया जा सकता है.

कैसे होती है ये बीमारी
गोट एक्सपर्ट कहते हैं कि यह रोग एक विषाणु के कारण होता है. जिसे राइनिपेस्ट वायरस कहा जाता है. यह रोग हवा के माध्यम से भी फैलता है. रोग का प्रसार संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से हो सकता है. इस रोग का कोई इलाज नहीं है लेकिन लक्षणों का इलाज किया जा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि ये एक ऐसी बीमारी है जो पूरे विश्व में है. एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि अगर पोंकनी बीमारी बकरियों को हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.

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