नई दिल्ली. नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार सड़कों पर घूम रहे गोवंशों को रोककर गोशाला में पालने की कोशिश कर रही है. इतना ही नहीं सरकार उन पर शिंकजा कसने जा रही है, जो गोवंशों को सड़कों पर छोड़ देते हैं. निराश्रित गो-वंश की समस्या को रोकने के लिए पशुओं की ईयर टैगिंग के कार्य में भी तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. पशुओं की ईयर टैगिंग किए जाने से उसके मालिक का पता आसानी से किया जा सकता है. इसके अलावा संक्रामक रोगों एवं पशुओं के उपचार के लिए दवाइयां और वैक्सीन की उपलब्धता को भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने नाराजगी का इजहार करते हुए ईयर टैगिंग में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार सड़कों पर घूम रहे गोवंशों को रोकने के लिए पशुओं की ईयर टैगिंग की जाएगी. उत्तर प्रदेश में निराश्रित गोवंश की संख्या बढ़ती ही जा रही है. इन पशुओं को आश्रय देने के लिए यूपी की सरकार ने अब तक 6492 अस्थाई गो आश्रय स्थल बनाए हैं. 297 वृहद गौ संरक्षण केंद्र ,273 कान्हा गौ-आश्रय स्थल और 307 काजी हाउस संचालित है. इन गौ-आश्रय स्थलों में 15 लाख 6482 गोवंश का संरक्षण भी हो रहा है. निराश्रित गौ-वंश की समस्या को रोकने के लिए पशुओं की ईयर टैगिंग के कार्य में भी तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. पशुओं की ईयर टैगिंग किए जाने से उसके मालिक का पता आसानी से किया जा सकता है.
बता दें कि अच्छी नस्ल और ज्यादा दूध उत्पादन के मकसद से केंद्र और प्रदेश सरकारें लगातार काम कर रहीं हैं. अच्छी नस्ल के पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चलाया जा रहा है. लेकिन अधिकारियों के ढीले रवैये की वजह से ये कार्यक्रम बहुत ही धीमी गति से चल रहा है. विभाग के उदासीन रवैये पर उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने नाराजगी का इजहार करते हुए कृत्रिम गर्भाधान में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों से कहा कि पशुओं में नस्ल सुधार के लिए कृत्रित गर्भाधान बहुत जरूरी है. बता दें कि यूपी में देसी नस्ल सुधार, दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने और किसान-पशुपालकों की आय में बढ़ोत्तरी करने के लिए कई परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं.
यूपी की दम पर दूध उत्पादन में भारत बना दुनिया में नंबर वन
हिंदुस्तान दूध उत्पादन के मामले में पूरी दुनिया में नवंबर वन की पोजिशन पर आता है. देश में प्रति वर्ष दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन से ज्यादा होता है. देश को नंबर वन बनाने में पहले नंबर पर भैंस, दूसरे पर गाय और तीसरे नंबर बकरी का दूध शामिल हैं. यही वजह है देश में दूध की कोई कमी नहीं है. अब भारत दूसरे देशों को भी दूध के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में लगा हुआ है. यही वजह है कि श्रीलंका में दूध दुत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में विचार-विमर्श किया गया. इन पशुओं की नस्ल में सुधार करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान योजना को पूरे देश में चलाया जा रहा है. यूपी में इस योजना को लेकर सरकार लगातार काम कर रही है.
केंद्रीय मंत्री भी दे चुके हैं तेजी लाने के निर्देश
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल हरियाणा द्वारा खुंटकट्टी मैदान चाईबासा पश्चिम सिंघभूम झारखंड में 9-11 मार्च-2024 तक आयोजित तीन दिवसीय डेरी मेला एवं कृषि प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था. इसका शुभारंभ करने के लिए बतौर मुख्य अतिथि केन्द्रीय कृषि वं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने शिरकत की थी. उन्होंने झारखंड के साथ ही पूरे देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत नस्ल के विकास पर जोर दिया. अर्जुन मुडा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लिए भारत सरकार की प्राथमिकता है कि कृषि एवं पशुपालन प्रौद्योगिकियां देश के प्रत्येक किसान के दरवाजे तक पहुंचनी चाहिए. ये प्रौद्योगिकियां किसानों को न केवल आय में मदद करती हैं बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग से उनकी खेती में स्थिरता भी करती हैं. पशुपालन एवं डेयरी हमारे देश का मत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का योगदान करता है. आठ करोड़ से अधिक किसानों को सीधे रोजगार देता है. भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है, जो वैश्विक दूध उत्पादन का 24.64 प्रतिशत योगदान देता है.
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