नई दिल्ली. क्या आप भी अपनी मछलियों को फ्री की खुराक खिलाना चाहते हैं. जी हां आपने सही पढ़ा. अगर आप मछली पालन कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए ही है. क्योंकि मछली पालन के दौरान आप छोटी.छोटी बातों का ख्याल रखेंगे तो मछली की खुराक पर खर्च कम को जाएगा. जिसका फायदा सीधे तौर पर आपको मिलेगा लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने तालाब में किस तरह की मछलियों को पाल रहे हैं, क्योंकि हर मछली की अपनी अलग-अलग खुराक होती है.
मच्छरों का लार्वा भी खा लेती हैं
बताते चलें कि नॉर्थ इंडिया में रोहू, कतला, नैनी पसंद की जाती है. यह शाकाहारी मछली मानी जाती है. जबकि लाची, सोल और मांगुर मांसाहारी मछली हैं. यह मच्छरों का लार्वा भी बड़े चाव के साथ खा जाती हैं. नॉर्थ इंडिया की मछली डिमांड को बड़ी मात्रा में आंध्र प्रदेश से पूरा किया जाता है. इस इलाके में तालाब में मछली पालन भी खूब होने लगा है जो स्थानीय बाजारों के साथ-साथ आसपास के शहरों में भी मछली की डिमांड को पूरा करने में सफल है.
कम पैसों में दी जा सकती है खुराक
आगरा यूपी में मछली पालन करने वाले शरीफ कहते हैं कि जब तालाब में किसी भी नस्ल की मछली या जीरा साइज, फिंगर साइज बीज डाल रहे हैं तो उनके खाने के लिए शुरू में चावल और सरसों की खाल दी जाती है. इसके अलावा मछली शाकाहारी है, तो तालाब में उगने वाली काई भी वह खा जाती है. अगर मछली मांसाहारी है तो फिर तमाम ऐसी खुराक है, जो कम पैसों में दी जा सकती है. जिसे मांसाहारी मछली आसानी से और चाव के साथ खाती हैं.
बत्तख पाल सकते हैं
मछली पालक शरीफ कहते हैं कि अगर आपकी मछली मांसाहारी है तो मछली के साथ बत्तख भी पाल सकते हैं. पानी में रहने के दौरान बत्तख बीट भी तालाब में करती है, जिसे तालाब की मछलियों खा जाती हैं. पोल्ट्री फार्म से मुर्गी और मुर्गियों की बीट लाकर भी तालाब में डाली जा सकती है. इसके अलावा कुछ देर के लिए भैंसों को भी तालाब में छोड़ सकते हैं मछलियां गोबर भी खूब चाव से खाती हैं. हाालांकि ये सब खुराक मांसाहारी मछलियां ही खाती हैं.
Leave a comment