नई दिल्ली. पशु पालकों तो ये बात पता ही है कि सिर्फ बकरी ही नहीं भेड़ और गाय-भैंस या फिर जो भी पशु वो पालते हैं, उसके लिए हरा चारा बेहद अहमियत रखता है. क्योंकि पशुओं को जब हरा चारा खिलाया जाता है तो पशुओं में बहुत सारे मिनरल्स , प्रोटीन और खास विटामिन की जो भी कमी होती है वो पूरी हो जाती है. इससे पशु हेल्दी तो होता ही है साथ में उससे होने वाला बच्चा भी बेहद स्वस्थ्य पैदा जाता है. हालांकि एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि हरा चारा खिलाने का भी अपना एक तरीका है. छोटे—बड़े पशुओं के लिए हरे चारे की मात्रा तय है. पशुओं को दिए जाने वाले हरे चारे की मात्रा, उनकी उम्र, उसके वजन के आधार पर तय की जानी चाहिए. यदि चारे की मात्रा कम कर दी या फिर ज्यादा दे दी. जबकि कई-कई दिन तक हरे चारे की एक डाल भी नहीं खिलाई है तो इससे भी आपके पशु को नुकसान पहुंचेगा.
एक्सपर्ट कहते हैं कि सूखे और दानेदार चारे के साथ बकरियों के लिए हरा चारा भी देना बहुत ही आवश्यक है. यदि हरा चारा कम रह गया, या फिर ज्यादा दे दिया तो इससे पशु के को होने वाले बच्चे को भी परेशानी होगी. इस संबंध में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार कहते हैं कि गाय-भैंस और भेड़ के मुकाबले हरे चारे को बकरी का खाने का तरीका अलग है. दरअसल, जब सामान्य तौर पर बकरी हरा चारा खाती है तो हमेशा ही बकरी मुंह ऊपर करके खाती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसा करने से बकरी को जहां अच्छा लगता है तो वहीं इससे उसके शरीर को और ज्यादा फायदा पहुंचता है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि इसलिए बकरे और बकरियों को हरा चारा खिलाने के दौरान यहा ध्यान देना चाहिए कि बकरी को हरा चारा खिलाने के लिए खुले मैदान, जंगल या खेत में ले जाना चाहिए. ये मुमकिन न हो तो हरे चारे का गट्ठर बनाकर देना चाहिए. उसे थोड़ा ऊंचाई पर टांग दें या फिर बकरी की हाइट से थोड़ा ऊपर रख देना चाहिए. यहां ये इसलिए समझाया जा रहा है कि चारे को कभी भी जमीन पर न डालें. इससे बकरी को गर्दन नीचे करना होगा और उसे उस हरे चारे को खाने का उतना फायदा नहीं होगा, जितना कि गर्दन उठाकर खाने से होता.
क्यों दिया जाना चाहिए हरा चारा, जानें
एक्सपर्ट डॉ. अशोक कुमार कहते हैं कि हरा चारा प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन ए भरपूर होता है. वैसे तो सभी पशुओं को लेकिन खासतौर पर बकरी को इसकी ज्यादा जरूरत होती है. हरे चारे में शामिल विटामिन ए न जहां बकरी को फायदा पहुंचाता है तो वहीं होने वाले बच्चे में इसकी कमी हो जाए तो उसकी ग्रोथ रुक जाती है. ऐसे में बच्चे का सिर बड़ा हो जाएगा और आंखों की परेशानी भी बढ़ सकती है. यही हरा चारा अगर ज्यादा हो जाए तो बकरी को डायरिया यानि दस्त हो जाते हैं और उसमे पोषण की कमी हो सकती है.
उन्होंने हका कि हरे चारे की एक और खासियत ये है कि रिजका और बरसीम खाने के बाद बकरे-बकरी के पेट में गैस बनने लग जाती है. यह गैस जल्दी ही पास नहीं होती है. बकरी को इससे निजात दिलाने के लिए आप उसे कोई भी खाने वाला तेल 50 एमएल दिया जा सकता है. अगर इससे भी ठीक न हो तो खाने के 50 एमएल तेल में पांच एमएल तारपीन का तेल मिला देना चाहिए.
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