Home पशुपालन Sheep Farming: अच्छे प्रोडक्शन के लिए भेड़ की परख करने में इन चीजों का रखें ध्यान
पशुपालन

Sheep Farming: अच्छे प्रोडक्शन के लिए भेड़ की परख करने में इन चीजों का रखें ध्यान

गोट एक्सपर्ट का कहना है कि एक से तीन महीने के बीच मेमना पालन की बात की जाए तो पहले महीने में शरीर का वजन सात किलोग्राम होता है.
मुजफ्फरनगरी भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भेड़ पालन करके भी अच्छी खासी कमाई की जा सकती है. भेड़ पालन को साइंटिफिक तरीकों से किया जाए तो इसमें खूब मुनाफा है. पशुपालकों के लिए जरूरी है कि जानवरों की अच्छी तरह से परख कर ली जाए. अगर परख में चूक होती है तो फिर नुकसान हो सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि परख करने के लिए जरूरी ये है कि जन्म के वक्त से ही पशुओं की परख की जाए. इसके अलावा छह महीने के होने जाने पर भी भेड़ के मेमनों की परख की जाती है. आइए जानते हैं कि किस तरह मेमनों की परख की जाती है.

जन्म पर ही नर मेमनों की परख करना चाहते हैं तो देखें कि, मेमनों में किसी प्रकार का नस्ल दोष आंखों के गिर्द चक्कर व कानों के नीचे का हिस्सा भूरा हो. इसके अलावा कहीं भी काले या भूरे रंग की ऊन का होना, तोतानुमा जबड़ा या दांतों से संबंधित अन्य कोई बीमारी, कुबड़ापन, लंगड़ापन, अंधापन व बोनापन न हो. अगर मुजफ्फरनगरी नस्ल है तो सभी पहचान चिन्ह होना जरूरी है.

ऐसा होना चाहिए शरीर
छह माह की उम्र पर मेमनों की परख की बात की जाए तो उनके भार के आधार पर ही मेमनों का चयन होना चाहिए. वहीं नर भेड़ों की शारीरिक बनावट की परख करने के लिए उन्हें अलग-अलग कैटेगरी में रख लें. उच्च श्रेणी वालों का चयन कर उनके आकर्षण पर ध्यान देना चाहिए. जिनमें चौड़ा व गहरा सीना और पेट, मसल पुटठें, पीठ व काठी मजबूज टांगें, मुलायम त्वचा, चमकीली बड़ी आंखें व चौड़े नथुने, थूथन, जबड़ा व कपोल, सुडोल, बदन व लम्बा शरीर होना शामिल है.

ये कमी है तो नर भेड़ बेकार है
नर भेड़ के प्रजनन अंगों व क्षमता की परख की बात की जाए तो सभी गुण होने के बाद भी यदि नर भेड़ के टेस्टिकल्स व सीमेन में कमी है तो नर भेड़ में कुछ भी नहीं है. इसलिए नर भेड़े के टेस्टिकल्स की जांच बेहद ही जरूरी है. टेस्टिकल्स समानान्तर व विकसित हों, सीजनल पीरियड में रतिवाली भेड़ों पर चढ़ने में तीव्रता, मर्दानगी व काबू करने की क्षमता और झटका देकर सीमेन निकलने की क्षमता अच्छी होनी चाहिए. ऐसी नर भेड़ से भेड़ों में गर्भ धारण करने की क्षमता बढ़ती है.

प्रजनन के समय मेंढे की उम्र
हर दो वर्ष के बाद नर भेड़ को बदल लें ताकि रेवड़ में अंतः प्रजनन से बचा जा सके. नर भेड़ यदि रेवड़ में जन्मे मेमनों में से ही एक है तो फिर उसके निकट संबंधियों जैसे मां, बहन, बेटी व चचेरी बहन, मौसी आदि से मिलान नहीं कराना चाहिए. जब तक कि दूसरी नस्ल उत्पादन व एक स्पेशल लाइनर रेखित उपनस्ल पैदा करना उद्देश्य न हो.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Milk Production: ज्यादा दूध देने वाली गायों को हीट से होती है परेशानी, जानें क्या है इसका इलाज

उच्च गुणवत्ता-युक्त अधिक दूध प्राप्त होता है, लेकिन ज्यादा तापमान युक्त हवा...

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को इस तरह खिलाएं हरा चारा, ये अहम टिप्स भी पढ़ें

बारिश के सीजन में पशुओं को चारा नुकसान भी कर सकता है....

पशुपालन

CM Yogi बोले- IVRI की वैक्सीन ने UP में पशुओं को लंपी रोग से बचाया, 24 को मिला मेडल, 576 को डिग्री

प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं....

milk production
पशुपालन

Animal News: अच्छी क्वालिटी का सीमेन कहां से खरीदें, जानें इस बारे में

जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है. क्योंकि उच्च गुणवत्ता वाले सीमन...