Home पशुपालन Cow : कैसे करें देसी गाय की पहचान, जानिए अच्छी नस्ल के टिप्स, दूध और घी से कमाई कर भरेगी आपकी जेब
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Cow : कैसे करें देसी गाय की पहचान, जानिए अच्छी नस्ल के टिप्स, दूध और घी से कमाई कर भरेगी आपकी जेब

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले ज्यादातर पशुपालक ज्यादा दूध उत्पादन करने वाली गायों की नस्ल को प्राथमिकता देते हें. देश में 51 देसी गायों की रजिस्टर्ड नस्ल हैं. जिसमें साहिवाल बद्री, राठी, थारपारकर और कांकरेज सबसे मुख्य मानी जाती है. इसके अलावा देश में दो विदेशी नस्ल की गाय भी एचएफ और जर्सी भी खूब पाली जाती है. यह दूध उत्पादन करने के मामले में बहुत ही बेहतरीन नस्ल मानी जाती है. बताते चलें कि देसी नस्ल की गायों के मुकाबले विदेशी नस्ल की गायों का दूध कम क्वालिटी वाला होता है.

डेयरी एक्सपर्ट कहते हैं की देसी नस्ल की गायों के दूध में A2 होता है. जबकि विदेशी नस्ल की गायों में A1 पाया जाता है. जिसका देसी घी काफी महंगा बिकता है. इसके अलावा देसी गाय के दूध में कई और पोषक तत्व भी होते हैं. यह स्वाद में भी बेहतर होता है. पाचन क्रिया को भी अच्छा बनाने में मददगार होते हैं. इसमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है.

इन राज्यों में सबसे ज्यादा गाय: देसी गायों के दूध की खास ये भी है कि इसके दूध से बने घी को अगर बिलोकर बनाया जाता है तो इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. मध्य प्रदेश, यूपी, राजस्थान गुजरात और बिहार में देसी नस्ल की गायों की सबसे ज्यादा संख्या है. यूपी में देश का सबसे बड़ा कैटल रिसर्च सेंटर बनाया गया है. देसी नर्सरी गायों की संख्या बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल सीमेन टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया जाता है.

  • कुछ खास देसी नस्ल
  • गिर गाय की पहचान उसके लटके हुए कान काली आंखें और फैले हुए सींग से होती है. यह गुजरात की नस्ल मानी जाती है.
  • साहिवाल गाय की बात करें तो यह लाल भूरे रंग की होती है.
  • नागौरी गाय की थूथन, सींग और खुद सभी पूरी तरह से काले होते हैं. यह राजस्थान के जोधपुर की नस्ल है.
  • थारपारकर गाय के कान के अंदर की त्वचा का रंग पीला होता है और यह राजस्थान की नस्ल है.
  • हरियाणवी गए ज्यादातर सफेद या भूरे रंग में पाई जाती है. इसका चेहरा संकरा और सींग बड़े होते हैं. ये हरियाणा की नस्ल है.
  • कांकरेज गाय की पहचान इसके बड़े सींग से होती है और ज्यादातर गुजरात में पाई जाती है.
  • बद्री गाय का महत्व भी है. इसकी पहचान खासतौर पर रंग से होती है. यह पूरे सफेद, लाल, काले रंग में होती है. इसका मूल निवास उत्तराखंड में है.
  • पुंगनूर गाय बहुत छोटी होती है. तीन से पांच लीटर तक दूध देती है. पीएम भी इसकी तारीफ कर चुके हैं. आंध्र प्रदेश में पाई जाती है.
  • लाल सिंधी गाय नाम के मुताबिक पूरी तरह से लाल रंग की होती है. इसकी नाक की लाल रंग की होती है. यह पाकिस्तान की नस्ल है.

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