Home मछली पालन Fish Farming: फिश ​फार्मिंग में कैसा होना चाहिए केज जानें यहां, पढ़ें जगह के सेलेक्शन का क्या है रोल
मछली पालन

Fish Farming: फिश ​फार्मिंग में कैसा होना चाहिए केज जानें यहां, पढ़ें जगह के सेलेक्शन का क्या है रोल

fish farming in cage
Symbolic photo.

नई दिल्ली. मछली पालन के बढ़ते क्रेज के साथ अब एक और एक्वाकल्चर उत्पादन मेथड जो फ्लोटिंग फ्रेम, नेट सामग्री और मूरिंग सिस्टम (रस्सी, बोया, एंकर आदि के साथ) से बना होता है. जिसमें बड़ी संख्या में मछलियों का पालन किया जा सकता है. जिसमें गोल या चौकोर आकार का फ्लोटिंग नेट का उपयोग कर सकते हैं और इन केज को जलाशय, नदी, झील या समुद्र में प्लांट किया जाता है. फ्लोटिंग पिंजरों के चारों ओर एक कैटवॉक या रेलिंग बनाई जाती है. ताकि मछली को फीड देने में, मछली पकड़ने, आदि काम में आसानी से किया जा सके.

मत्स्य पालन चार तरह के केज में होता है. स्थिर केज, तैरने वाला केज, पानी में डूबा केज, और सबमर्सिबल केज. आर्थिक रूप से कहा जाए तो, जो पिंजरे की मछली उत्पादन कम से कम निवेश में उच्च लाभ दें वो बेहतर माने जाते हैं. साथ ही कम से कम कार्बन उत्सर्जन गतिविधि के साथ वह मछली पालन करने वाले को और पर्यावरण दोनों को के लिए फायदेमंद होता है. पिंजरे में मछली की खेती भूमि पर मछली पालन की सबसे महत्वपूर्ण बाधाओं में से एक को दूर करती है.

पिंजरा कल्वर के लिए स्थल का चयन
किसी भी एक्काकल्चर ऑपरेशन में स्थान का चयन एक महत्वपूर्ण कारक है. जो सफलता और स्थिरता दोनों को प्रभावित करता है. स्थान का सही चुनाव पिंजरे के फार्म की सफलता में अहम रोल निभाता है. स्थान का चयन बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह पूंजी परिव्यय का निर्धारण करके, चल रही लागत, उत्पादन की दर और मृत्यु दर कारकों को प्रभावित करके आर्थिक वर्कबिलिटी को बहुत प्रभावित कर सकता है. पिंजरों में मछलियों की खेती के लिए स्थल चयन से पहले विभिन्न मानदंडों को संबोधित किया जाना चाहिए. भौतिक रासायनिक पैरामीटर जैसे तापमान् लवणता, ऑक्सीजन, प्रदूषण, अल्गल ब्लूम, आदि. जो यह निर्धारित करते हैं कि एक प्रजाति पर्यावरण में पनप सकती है या नहीं. स्थान के चयन के लिए जिन अन्य मानदंडों पर विचार किया जाना चाहिए वे हैं मौसम की स्थिति, आश्रय, गहराई, सब्सट्रेट आदि.

पिंजरे का आकार
यह एक तथ्य है कि उपयोग की जाने वाली सामग्री और निर्माण विधियों की सीमा के भीतर पिंजरे के आकार में ग्रोथ के साथ प्रति यूनिट मात्रा में कमी आती है. मछली पालन के लिए 6 मीटर व्यास और 15 मीटर व्यास के खुले पिंजरों और बीज पालन के लिए 2 मीटर व्यास के एचडीपीई पिंजरों का उपयोग किया जा सकता है, ग्रो आउट केज के लिए आदर्श आकार वाला हो. वहीं इसकी आसान चाल होनी चाहिए. कम श्रम लगे. वहीं अंगुलिकाओं (Fingerling) के लिए आकार के मछलियों के लिए, 2 मी पिंजरों का उपयोग किया जा सकता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

State Fisheries Officials provided updates on the status, progress, and key challenges in promoting inland saline and shrimp aquaculture.
मछली पालन

Fish Farming Scheme: मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने शुरू की योजना, पढ़ें इसके फायदे

जिससे इनका संरक्षण एवं संवर्द्धन के साथ-साथ मत्स्य उत्पादकता तथा किसानों के...

The Department of Fisheries organized the Startup Conclave 2.0 to promote innovation in the fisheries sector.
मछली पालन

Fish Farming: मछली के शरीर पर है लाल रंग का धब्बा तो हो जाएं अलर्ट, इस खतरनाक बीमारी का है ये लक्षण

इस रोग से प्रभावित होने वाली प्रमुख प्रजातियां गरई, भाकुर, रोहू, कवई,...

fish farming in pond
मछली पालन

Fish Farming Scheme: मछली पालन की इस योजना का फायदा उठाकर शुरू करनें अपना बिजनेस

बिहार सरकार की ओर से चलाई जा रही है तमाम योजनाओं में...