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Dairy: इन 12 प्वाइंट्स की हर पशुपालकों को होनी चाहिए जानकारी, दूध उत्पादन बढ़ाने में मददगार हैं ये टिप्स

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प्रतीकात्मक फोटो. Live stockanimal news

नई दिल्ली. इसमें कोई शक नहीं है कि पशुपालन का क्रेज तेजी के साथ बढ़ रहा है. किसान पशुपालन करके अपनी इनकम को बढ़ा रहे हैं. सरकार की भी यही मंशा है कि पशुपालन के जरिए किसान अपनी आय को दोगुना कर लें. वैसे तो प्रति पशु दूध उत्पादन की क्षमता के मामले में हम कई विकसित देशों से पीछे हैं लेकिन फिर भी हम दूध उत्पादन के मामले में नंबर वन हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि गाय पालन करें या फिर भैंस पालन अगर कुछ अहम चीजों की जानकारी सभी पशुपालकों को हो जाए तो प्रति पशु दूध उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है.

एक्सपर्ट के मुताबिक पशुपालन में पशुओं को कब गाभिन कराना है, उनकी देखरेख किस तरह से की जाए. कैसे चारा दिया जाए. पशु कब हीट में आते हैं, इन सब बातों की नॉलेज पशुपालकों को होनी चाहिए. तभी इसका फायदा पशुपालन में मिलेगा. आइए 12 प्वाइंट में जानें कुछ अहम बातें.

पढ़ें क्या-क्या करना है

  1. सामान्य स्थिति में एक देशी गाय लगभग दो वर्षों, देशी भैंस लगभग तीन वर्षों तथा संकर गाय 15-18 माह में प्रजनन योग्य हो जाती है.

2 पहली बार गर्मी प्रदर्शित करने वाली गाय भैंसों में 1-2 गर्मी छोड़कर गर्मित कराना चाहिए.

  1. हमारे देश में भैंस का गर्भधारण मौसमी होता है, इसलिए इन्हें ज्यादातर बारिश के मौसम में गाभिन कराना ज्यादा उचित होता है.
  2. आमतौर पर गाय हो या फिर भैंस हर 21वें (19-23) दिन गर्मी में आती हैं.
  3. गाय/भैंस को गर्मित कराने का बेहतरीन समय गर्मी की मध्य अवस्था से लेकर गर्मी के देर की अवस्था (12-18 घंटे) होती है. यदि गाय/भैंस शाम में गर्म होती है तो सुबह में गर्भित कराना चाहिए और यदि सुबह गर्म होती है तो शाम में गर्भित कराना चाहिए.
  4. गाय हो या फिर भैंस, उसे कृत्रिम गर्भाधान विधि से गर्मित कराना अधिक फायदेमंद होता है.
  5. प्राकृतिक रूप से गर्माधान कराने की स्थिति में अच्छे नस्ल और स्वस्थ सांड़ / भैंसे का चुनाव करना चाहिए.
  6. एक बछड़ा से दूसरे बछड़ा के जन्म के बीच 12-13 महीने का अंतराल उत्तम होता है. साधारणतः बच्चा देने के लगभग तीन माह बाद गर्भाधान कराना उचित होता है.
  7. गर्म गाय/भैंस को पानी से नहलाने के उपरांत गर्मित कराना चाहिए तथा गर्भित कराने के के बाद फिर से नहलाने से अच्छे रिजल्ट आते हैं.
  8. पशु समय से गर्भित हो इसके लिए आवश्यक है कि उसे पौष्टि संतुलित पशुआहार तथा खनिज मिश्रण एवं नमक दिया जाए.
  9. समय-समय पर पशु चिकित्सक की सलाह से कृमिनाशक दवा का प्रयोग आवश्यक है.
  10. गाय में गर्भाधान अवस्था लगभग 280 दिन तथा भैंस में लगभग 310 दिन का होता है.

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