नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं को कई बीमारियों का खतरा रहता है. उसी में से एक लंपी त्वचा रोग (एलएसडी) भी है. ये एक वायरल बीमारी है जो मवेशियों और भैंसों को प्रभावित करती है. एक्सपर्ट का कहना है कि यह इंफेक्शन से होने वाली एक बेहद खतरनाक बीमारी है जो पॉक्सवायरस के कारण होती है. यह बीमारी मुख्य रूप से कीड़ों के काटने से फैलती है. लंपी रोग को लेकर पशुपालन परेशान रहते हैं. इसको देखते हुए इस बीमारी के परंपरागत इलाज का तरीका राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने पशुपालकों के साथ शेयर किया है.
NDDB के एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनका इलाज आसानी के साथ के परंपरागत तरीकों से किया जा सकता है. बस जरूरत इस बात की है कि पशुपालकों को इसकी जानकारी हो. दो तरीकों के बारे में यहां जानकारी दी जा रही है.
पहला तरीका क्या है
इस तरीके से इलाज करने के लिए एक खुराक दवा बनाने के लिए पान का पत्ता 10 पत्ता, काली मिर्च-10 ग्राम, नमक-10 ग्राम, गुड़ जरूरत के मुताबिक ले लें. इसके बाद सभी सामग्री को पीस कर पेस्ट बना लें और गुड़ मिला दें. इस तैयार मिश्रण को अपने पशु को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खिलाएं. पहले दिन इसकी एक खुराक हर 3 घंटे पर पशु को खिलाएं. दूसरे दिन से दो सप्ताह तक पशु को दिनभर में तीन खुराक दें. प्रत्येक खुराक ताजा तैयार करें.
जख्म पर लगाने वाला मिश्रण
जख्म पर लगाने वाले मिश्रण के लिए कुप्पी का पत्ता-1 मुट्ठी, लहसुन-10 कलियों, नीम का पत्ता-1 मुट्ठी, नारियल या तिल का तेल-500 मिली, हल्दी पाउडर-20 ग्राम, मेहंदी का पत्ता-1 मुट्ठी, तुलसी का पत्ता-1 मुट्ठी ले लें. सभी समग्रियों को पीसकर पेस्ट बना लें. इसके बाद इसमें 500 मिली नारियल अथवा तिल का तेल मिलाकर उबालें और ठंडा कर लें. लगाने के लिए घाव को अच्छी तरह साफ करने के बाद इस मिश्रण को सीधे घाव पर लगाएं. यदि जख्म में कीड़े दिखाई दें तो पहले दिन नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाएं या फिर सीताफल की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बनाकर लगाएं.
दूसरा तरीका क्या है
दूसरे तरीके से इलाज के लिए अगर दो खुराक दवा बनाना चाहते हें तो लहसुन-2 कलियां, धनिया 10 ग्राम, जीरा-10 ग्राम, तुलसी का पत्ता-1 मुट्ठी, तेज पत्ता-10 ग्राम, काली मिर्च-10 ग्राम, पान का पत्ता-5, छोटा प्याज-2 नग, हल्दी पाउडर-10 ग्राम, चिरायता के पत्ते का पाउडर-30 ग्राम, बेसिल का पत्ता-1 मुट्ठी, बेल का पत्ता-1 मुट्ठी और नीम का पत्ता-1 मुट्टी ले लें. वहीं 100 ग्राम गुड़ की भी जरूरत पड़ेगी. दवा तैयार करने के लिए सभी सामग्री को पीस कर पेस्ट बना लें और गुड़ मिला दें. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेस्ट को पशु को खिलाएं. पहले दिन इसकी एक खुराक हर 3 घंटे पर पशु को खिलाएं. दूसरे दिन से प्रतिदिन 2 खुराक पशु की स्थिति में सुधार आने तक खिलाएं. हर दिन खुराक ताजा तैयार करें.
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