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Success Story: लाखों की नौकरी नहीं आई रास, मछली पालन से बदली किस्मत, ऐसी है युवा इंजीनियर की कहानी

आधा दर्जन लोगों को रोजगार दे रहे हैं साथ ही अपने कारोबार को बढ़ा रहे हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. एक इंजीनियर बनकर अच्छी नौकरी करने का सपना हर युवा का होता है. कई युवा अच्छे पैकेज पर जॉब करके इनकम करना चाहते हैं. इसके लिए वह कड़ी मेहनत करते हैं. नोएडा के चित्रांश भटनागर को कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद 11.50 लाख रुपये पैकेज की नौकरी रास नहीं आई. नौकरी छोड़कर उन्होंने आगरा में मछली पालन से अपनी किस्मत बदली. 28 साल के चित्रांश ने एक साल में 36 लाख रुपये का मुनाफा कमाया और आधा दर्जन लोगों को रोजगार भी दिया. प्रदेश के कई जनपदों के लोग उनके मछली पालन के तरीके को देखकर प्रभावित हुए हैं. मत्स्य पालन विभाग भी उनकी सफलता की कहानी का प्रचार-प्रसार कर रहा है.
चित्रांश ने आधा बीघा में तालाब का निर्माण कराकर वर्ष 2023 में सिंघी (एशियन स्टिंगिंग कैटफ़िश) प्रजाति की मछली की फिश हार्वेस्टिंग की. पहली ही साल उन्होंने 15 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया. आर्टसिकल फार्म के नाम से अपनी कंपनी बनाई और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 36 लाख रुपये की आमदनी हुई. वर्तमान में वह आधा दर्जन लोगों को रोजगार दे रहे हैं साथ ही अपने कारोबार को बढ़ा रहे हैं.

ऐसे किया मछली पालन शुरू: नोएडा के सेक्टर 39, सी ब्लाक में रहने वाले चित्रांश भटनागर ने चेन्नई की एसआरएम यूनीवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. उन्होंने 11.50 लाख रुपये के पैकेज पर आनलाइन एजुकेशन से जुड़ी कंपनी में बिजनेस डेवलपमेंट एसोसिएट की नौकरी हासिल की. इस बीच एक रिश्तेदार से उन्हें मछली पालन की जानकारी हुई. कोरोना काल में उन्होंने नौकरी छोड़कर मछली पालन की योजना बनाई. नोएडा में जमीन महंगी होने के कारण उन्होंने आगरा में रह रहे अपने रिश्तेदारों से संपर्क किया और डेढ़ बीघा जमीन शहर के पास बमरौली कटारा में लीज पर ली. यहां मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से उन्होंने वर्ष 2022 के आखिर में मछली पालन की शुरुआत की.

पिता का सपना था बेटा बने इंजीनियर: चित्रांश के पिता संदीप भटनागर पंजाब नेशनल बैंक में एजीएम के पद पर हैं. बहन कंचन भटनागर मारीशस से एमबीबीएस कर रही हैं. पिता की इच्छा थी कि चित्रांश इंजीनियर बनें, इसीलिए उन्होंने बीटेक किया. इसके बाद उन्हें बेहतर प्लेसमेंट भी मिला, लेकिन नौकरी उन्हें रास नहीं आई. कुछ हटकर करने की चाहत ने उन्हें यहां पहुंचा दिया. परिवार शाकाहारी होने के कारण उनके सामने कई चुनौतियां आईं. स्वजन उनके इस काम के पक्ष में नहीं थे. वर्तमान में स्थिति बदल गई है. बेटे की सफलता से सभी खुश हैं।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मिली मदद: मत्स्य पालन विभाग की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से चित्रांश को मदद मिली. योजना के तहत मत्स्य पालन विभाग ने उन्हें प्रशिक्षण दिलाया. 25 लाख रुपये के प्रोजेक्ट में दस लाख रुपये की सब्सिडी सरकार की ओर से मिली.

सिंघी मछली की है देश-विदेश में डिमांड: चित्रांश आगरा में सिंघी (एशियन स्टिंगिंग कैटफ़िश) का पालन कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह मछली प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. इसकी देश-विदेश में मांग है. गर्मी के सीजन में चार सौ से पांच सौ रुपये तो सर्दी के सीजन में छह सौ रुपये किलो तक मछली बिकती है. औसतन एक मछली दो सौ से ढाई सौ ग्राम की होती है. इसका बच्चा बीस रुपये के करीब मिलता है. चित्रांश की सप्लाई आगरा के अलावा दिल्ली सहित देश के अन्य महानगरों में है.

मछली पालन आमदनी का प्रमुख स्त्रोत है. सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है. चित्रांश भटनागर ने नोएडा से आकर आगरा में मछली पालन की शुरुआत की. वर्तमान में उन्होंने प्रमुख उद्यमी के रूम में अपनी पहचान बनाई है. – प्रशांत गंगवार, सहायक निदेशक मत्स्य.

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