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Dairy: NDRI वैज्ञानिकों ने तैयार की दुधारू पशु के गर्भधारण की जांच करने वाली किट, पढ़ें इसके फायदे

Why did NDRI say, separate AI department is needed for research and development activities
NDRI. Photo courtesy ADRI.

नई दिल्ली. करनाल राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) ने एक और कारनामा कर दिखाया है. संस्थान द्वारा अब दुधारू पशुओं के गर्भधारण जांच की के लिए विशेष किट तैयार कर ली गई है. हालांकि अभी ये टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजर रही है. अपने सफर में संस्थान ने ऐसे उत्पाद तैयार करने के साथ-साथ ऐसे रिसर्च किए जो मानव स्वास्थ्य का कवच बने है. बढ़ते हृदय रोगियों के लिए कम कोलेस्ट्राल वाला घी तैयार करने की तकनीक विकसित की है. वहीं बकरी के दूध से दही और बाजरे के बिस्किट और अन्य खाद्य पदार्थ बनाने की विधि इजाद की है. इसके अलावा मिलावट पर वार करते हुए बहुत से शोध किए. दूध में मिलावट पकड़ने की तकनीक ने डेरी उद्योग को गुणवत्ता की ओर बढ़ाया.

हृदय रोगियों के घी का सेवन हानिकारक होता है. संस्थान की ओर से हृदय रोगियों के लिए सुरक्षित घी की तकनीक तैयार की. लंबे शोध के बाद पारंपरिक देसी घी की तुलना में 85 प्रतिशत कम कोलेस्ट्राल का घी तैयार कर किया गया। इस विधि को एक कंपनी को दिया गया. जो इस विधि से घी तैयार कर लोगों को उपलब्ध करवा रही है.

पशुपालकों की बड़ी समस्या होगा समाधान
संस्थान के पीआरओ डॉ. एके डांग के अनुसार, गर्भधारण जांच किट की टेस्टिंग चल रही है. यह सफल होने पर पशुपालकों की एक बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा. विज्ञानियों ने बकरी के दूध से दही व पनीर बनाने की तकनीक विकसित की है. बकरी के दूध में अल्फा एस-1 जैसे विशेष प्रकार के प्रोटीन की कमी होती है. कणों का छोटा आकार और कैल्शियम और फास्फेट की अधिक मात्रा के कारण पनीर नहीं बनाया जा सकता था. संस्थान के विज्ञानियों ने इसे संभव कर दिखाया. संस्थान की ओर से हृदय व मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक बाजरे के बिस्किट लांच किए थे. इससे पहले विज्ञानियों ने बाजरे के बिस्किट, लस्सी, कुरकुरे और न्यूट्रीमिक्स बनाने की विधि तैयार कर ली थी. बाजरे के बिस्किट बनाने की विधि एक निजी कंपनी ने संस्थान से खरीद ली थी.

दूध में मिलावट की जांच
एनडीआरआइ की ओर से दूध में मिलावट की जांच की स्ट्रिप विकसित की गई. दूध में ठोस पदार्थ सालिड नोट फैट यानि एसएनएफ को बढ़ाने के लिए डिटर्जेंट, यूरिया और सिंथेटिक स्टार्च समेत कई ऐसे तत्व मिला दिए जाते हैं. इससे सिंथेटिक दूध तैयार हो जाता है. सामान्य दूध में इसे मिला दिया जाता है. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. घरों या डेयरी उत्पाद बनाने वाली कंपनियों सहित अन्य जगहों पर दूध बेचने वाले ज्यादा मुनाफे के लालच में मिलावट कर देते हैं. इस दूध से पनीर व खोया भी इससे बनाया जाता है. इस मिलावट को पकड़ने के लिए पहले महंगी मशीन से जांच की जाती थी. इस स्ट्रिप से जांच करने में 10 से 12 रुपये लगते हैं. स्ट्रिप की मदद से दूध में यूरिया, स्टार्टर, डिटर्जेंट पाउडर, ग्लूकोज न्यूट्रीलाइजर, रिफाइंड तेल और हाइड्रोजन आक्साइड की मात्रा की जांच की जा सकती है. मिलावट की जांच के लिए संस्थान ने आठ तरह की स्ट्रिप विकसित की है. स्ट्रिप को दूध में डुबोया जाता है. इससे दस मिनट में दूध में मिलावट की जांच की जा सकती है.

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