नई दिल्ली. देश में मांस उत्पादन मुख्य रूप से पशुधन उत्पादन का बाई प्रोडक्ट भी कहा जाता है. क्योंकि मांस उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले अधिकांश बड़े जानवर जैसे भैंस जब दूध देना बंद कर देती है तो फिर इसको मीट के लिए स्लाटर हाउस में भेजा जाता है. इससे पहले भैंस से दूध और प्रजनन का टारगेट पूरा कर लिया जाता है. इस तरह से भैंस पालने से किसानों को ज्यादा फायदा होता है. हालांकि, बकरियां, भेड़, सूअर और मुर्गी का पालन मुख्य रूप से मांस के लिए किया जाता है.
बता दें कि देश के अधिकांश हिस्सों में भैंसों का उपयोग दूध, मांस और कृषि कार्य के लिए किया जाता है. जबकि बकरों का मीट सबसे प्रीमियम माना जाता है. वहीं बहुत से इलाकों में भेड़ को भी मीट के लिए पाला जाता है. जबकि ब्रॉयलर मुर्गे तेजी से बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती मांग को पूरा करने में अहम भूमिका में हैं.
इस तरह होती है मीट के लिए जानवरों की खरीद-फरोख्त
भारत में पशुधन विपणन प्रणाली अभी भी एक प्राइमिटिव स्तर पर है. भारत में लगभग 2000 पशुधन बाजार हैं, जो मुख्य रूप से स्थानीय निकायों जैसे पंचायतों, नगरपालिका और निगमों, प्रदर्शनी समिति के अधीक्षण में कंट्रोलर ऑफ फेयर द्वारा या कृषि उत्पादन बिक्री कंट्रोलर द्वारा चलाए जाते हैं, जिन्हें नियंत्रित बाजार कहा जाता है. आमतौर पर, मीट वाले जानवरों का बिक्री किसानों के घरों से शुरू होती है. जबकि कई बिचौलियों और तमाम बिक्री चैनलों के माध्यम से होते हुए स्लॉटर हाउस में इसका सफर खत्म होता है. आमतौर पर, पशु उत्पादक या किसान किसान अपनी भैंसों, भेड़ों और बकरियों आदि पशुओं को तमाम परेशानियों से बचने की वजह से एजेंटों के हाथ बेच देते हैं.
तीन तरह से बिकता है मीट
बुनियादी रूप से, भारत में बिक्री प्रणाली के 3 स्तर हैं. प्राथमिक, दूसरा और अंतिम बाजार. ये बाजार सभी प्रजातियों को शामिल कर सकते हैं या कभी-कभी विशेष रूप से एक ही प्रजाति के लिए हो सकते हैं. प्राथमिक बाजार (स्तर-I) गांव और फार्म-गेट स्तर पर कार्य करते हैं जहाँ संग्रह एजेंट और छोटे व्यापारी काम करते हैं. दूसरे बड़े आकार के साप्ताहिक बाजार (स्तर-II) प्रत्येक राज्य के विभिन्न स्थानों पर हफ्तों के खास दिनों पर आयोजित होते हैं, जहां थोक व्यापारी, एजेंट और प्रोसिंग करने वाले काम करते हैं. अंतिम मवेशी बाजार (स्तर-III) ज्यादातर कसाइयों, व्यापारियों, प्रोसेसिंग करने वालों और निर्यातकों के नियंत्रण में होता है. ये दैनिक बाजार मेट्रोपॉलिटन शहरी केंद्रों के चारों ओर संचालित होते हैं जो कसाईखानों के निकट होते हैं ताकि कसाइयों के लिए मांस के जानवरों की रोज की जरूरत के हिसाब से खरीदने में सहायता मिल सके.
Leave a comment