नई दिल्ली. केरल एक ऐसा राज्य है, जहां पर मीट काफी पसंद किया जाता है. यहां बफैलो मीट की डिमांड काफी ज्यादा है. इसके अलावा मटन और चिकन भी खाया जाता है. केरल में मीट प्रोडक्शन (Meat Production) बढ़ाने और लोगों को गुणवत्ता से भरपूर मीट उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. केरल सरकार (Kerla Government) की ओर से उठाए जा रहे कदम से आने वाले समय में मीट का प्रोडक्शन भी बढ़ेगा और लोगों को क्वालिटी से भरपूर मीट खाने के लिए मिलेगा.
राज्य में लाइसेंस प्राप्त सुअर पालक या रेंडरिंग प्लांट के साथ गठजोड़/व्यवस्था करके लघु-स्तरीय पोल्ट्री ड्रेसिंग इकाइयों की स्थापना सुनिश्चित की जानी है.
क्या-क्या काम होगा
चयनित निगमों और जिलों में अलग से सरकार सुअर के स्लाटर हाउस भी स्थापित करेगी.
वहीं सभी हितधारकों को मांस के आगे प्रोसेसिंग और मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
रोगग्रस्त और मृत पशुओं और मांस एवं पोल्ट्री स्टॉल से निकलने वाले अपशिष्ट के लिए सभी जिलों और निगमों में कम से कम एक अलग रेंडरिंग प्लांट स्थापित किए जाएंगे.
वन हेल्थ अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए, राज्य पशुपालन विभाग सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन के लिए एक पशु चिकित्सा जन स्वास्थ्य शाखा बनाएगा. जिसमें मांस स्वच्छता और निरीक्षण भी शामिल है.
एलएसजीडी और एएचडी के तहत मांस निरीक्षण के लिए पशु चिकित्सा अधिकारियों के पद सृजित किए जाएंगे और उन्हें मांस निरीक्षण, एलपीटी, वीपीएच में स्नातकोत्तर में विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. उन्हें राज्य के सभी एकीकृत बूचड़खानों में तैनात किया जा सकता है.
केरल में मांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सभी गतिविधियों को व्यवस्थित और समन्वित करने हेतु एक पशुचिकित्सक की अध्यक्षता में एक “केरल मांस बोर्ड” बनाया जाएगा, जिसमें इस क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों का पंजीकरण, धन का प्रबंधन, किसानों के लिए बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज, इनपुट उत्पादन और आपूर्ति का विनियमन, प्रसंस्करण और विपणन, अपशिष्ट प्रबंधन का विनियमन आदि शामिल हैं।
मांस को फ्रीज करना प्रसंस्करण या मूल्यवर्धन नहीं है। इसलिए, जमे हुए मांस पर जीएसटी हटाया जा सकता है। राज्य इस मामले को जीएसटी परिषद के समक्ष उठा सकता है।
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