Home पशुपालन Cow Husbandry: उन्नत नस्ल की इन तीन गायों को पालें तो डेयरी सेक्टर में होगी खूब कमाई, पढ़ें डिटेल
पशुपालन

Cow Husbandry: उन्नत नस्ल की इन तीन गायों को पालें तो डेयरी सेक्टर में होगी खूब कमाई, पढ़ें डिटेल

Semen Bank, Sahiwal, Rathi, Desi Cow, Embryo Transplantation Technology, Pandit Deendayal Upadhyaya University of Veterinary Sciences, Mathura
सीमन और राठी गाय की प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पशुपालन के मामले में हरियाणा प्रांत आज भी भारत में अग्रणी राज्यों में गिना जाता है. इस प्रदेश की उन्नति में पशुपालन ने शुरू से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है. ग्रामीण जीवन के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए राज्य में पशुपालन विभाग के योगदान बड़ा रहा है. राज्य में हमेशा से ही पशुपालकों द्वारा उन्नत नस्ल की गायें और भैंसे पाली जाती रही हैं. इसके चलते यहां के किसानों को पशुओं से बेहतर उत्पादन मिलता है और उन्हें इसका सीधा फायदा भी होता है. पशुपालक दूध बेचकर अच्छी कमाई करते हैं.

यहां हम आपको अच्छा प्रदर्शन करने वाली तीन गायों की जानकारी देने जा रहे हैं, जो पशुपालन के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं. पशुपालन व डेयरी विभाग हरियाणा के मुताबिक इन नस्लों की गायों को पालकर डेयरी सेक्टर में बढ़िया कमाई की जा सकती है.

हरियाणा गाय
हरियाणा गाय यह नस्ल हरियाणा राज्य के रोहतक, हिसार, सोनीपत, झज्जर, जीन्द फतेहाबाद एवं भिवानी जिलों में पाई जाती है. इस नस्ल के बैल बहुत लोकप्रिय हैं. इनका रंग सफेद और हल्का धूसर, कद ऊंचा, सींग गुठ्ठल, चेहरा पतला व लम्बा, चुस्त व छोटे कान, उठी हुई दुई (हम्प) बड़ी तथा चमकीली आंखें, खिंचा हुआ मुतान, वपटा माथा तथा लम्बी व पतली लेकिन मजबूत टांगें होती हैं. गायों का औसत दूध उत्पादन 1500 लीटर प्रति ब्यात होता है. बैलों तथा दूध दोनों के मद्देनजर यह नस्ल हरियाणा के इन क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय है, क्योंकि इस नस्ल के बैल चुस्त, फुर्तीले, कृशि कार्यों तथा बोझा ढोने में सक्षम होते हैं.

साहीवाल गाय
इसका मूल स्थान पंजाब (पाकिस्तान) के मध्यवर्ती और दक्षिणी सूखे क्षेत्र, रावी नदी के आसपास के स्थान विशेश रूप से मांटगुमरी जिला, भारत के राजस्थान एवं पंजाब के अधिकांश भाग हैं. ऊपर से नीचे तक फैला भारी भरकम शरीर, छोटी टांगे, पतली व ढीली ढाली खाल, थोड़ा चौड़ा माथा, छोटे और मोटे सींग इस नस्ल की मुख्य विशेशताएं हैं. रंग लालीयुक्त भूरा होता है जिस पर सफेद दाग भी पाए जा सकते हैं. कोड़े जैसी लंबी पूंछ जमीन को छूती रहती है. थन बड़े व नर्म होते हैं. इस नस्ल के बैल सुस्त होते हैं, पर धीमे कार्यों के लिए उपयोगी होते हैं. दुई (हम्प) बड़ा तथा गले के नीचे की तरफ काफी लटकी हुई झालर होती है.

हालिस्टन फ्रीजियन गाय
यह विश्व की सबसे अधिक दूध देने वाली गाय है. इस नस्ल की गाय का मूल स्थान यूरोप है. इस नस्ल की गाय ऊंचे कद की होती हैं. शरीर पर गोल एवं सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इस नस्ल की गाय का औसतन दूध 7655 लीटर प्रति वर्ष है. इस नस्ल की गायें 45 लीटर प्रति दिन तक दूध दे देती हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

GOAT FARMING, LIVE STOCK NEWS, Solar Dryer Winter Protection System
पशुपालन

Goat Farming: शुरू करना चाहते हैं बकरी पालन तो बकरियों की इन नस्लों को चुने, मिलेगा ज्यादा फायदा

यह व्यावसाय कम जमीन तथा भूमिहीन श्रमिकों के लिए एक अच्छा है....

animal husbandry
पशुपालन

NDDB ने बताया कैसे घर पर ही दवा बनाकर थनैला बीमारी का किया जा सकता है इलाज

पहला तरीका पानी आधारित है और दूसरा तेल आधारित. पानी आधारित इलाज...

livestock
पशुपालन

Dairy Farm: इन 14 प्वाइंट्स को पढ़कर जानें पशुओं के लिए आइडियल डेयरी फार्म कैसे बनाएं

बेहतर प्रजनन और उत्पादन के लिए अनूकूल वातावरण प्रदान करना है. ग्रामीण...