नई दिल्ली. मध्य प्रदेश सरकार के गोपालन निदेशालय की ओर से पशुपालकों को तीन दिनों तक पशुपालन से जुड़ी तमाम अहम जानकारियां दी जाएंगी. इसका शेड्यूल जारी कर दिया गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस ट्रेनिंग का उद्देश्य गौशाला और प्रगतिशील गोपालकों को नई जानकारियां और नई तकनीक के बारे में बताना है. वहीं यहां गायों के दूध से बनने वाले उत्पादों की जानकारी भी दी जाएगी. जिसमें ये भी बताया जाएगा कि दूध, दही और मक्खन आदि से किसान किस तरह से कमाई कर सकते हैं. ट्रेनिंग कैंप का उद्देश्य ये भी है कि किसानों को मजबूत किया जा सके. उनकी इनकम को बढ़ाया जा सके.
ट्रेनिंग कैंप में पंजीकृत गौशाला के मलिक, मैनेजर और प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं. इन्हें पशु चिकित्सा अधिकारियों के कहने पर चयनित किया जाएगा. वहीं इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में बीपीएल कार्ड धारकों में से 17 फीसदी, एसटी कैटेगरी से 13 फीसदी लोगों को शामिल किया जाएगा. जबकि महिलाओं की 30 फीसदी की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. हर पात्र गौशाला के मालिक, सचिव और मैनेजर को तमाम अहम जानकारी दी जाएगी.
ये एक्सपर्ट होंगे शामिल
- राजस्थान पशु चिकित्सा परिषद द्वारा पंजीकृत एवं पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान स्नातक.
- आयुर्वेदिक विकित्सक, कृषि अधिकारी संबंधित विषय के.
- निदेशालय पशुपालन, गोपालन व पशुविज्ञान यूनिवर्सिटी के विषय विशेषज्ञ अधिकारी.
- गौशाला प्रबंधन, डेयरी प्रबंधन और चारा पशु आहार में अनुभव रखने वाला सक्षम अधिकारी.
ट्रेनिंग कैंप के बारे में जाानें यहां
- ट्रेनिंग कैंप में हिस्स लेने वाले तमाम पशुपालकों को दिनों तक ट्रेनिंग दी जाएगी.
- प्रशिक्षण बैच में न्यूनतम 35 या अधिक ट्रेनी भी शाामिल हो सकते हैं. ट्रेनिंग बैच में न्यूनतम 20 ट्रेनी को शामिल करने के बाद ट्रेनिंग दी जाएगी.
- ट्रेनिंग में कुल 11 लेक्चर होंगे. हर एक लेक्चर एक घंटे का होगा.
- प्रशिक्षण के लिए विषय विशेषज्ञों को मानदेय के तौर पर 1000 रुपये प्रति व्याख्यान दिया जाएगा.
- ट्रेनी को आने-जाने का सामान्य बस और रेल मार्ग का किराया देय होगा.
- ट्रेनी के आवास, खान-पान की व्यवस्था फ्री की जाएगी.
ट्रेनिंग प्रोग्राम का फायदा
- गौसंवर्धन, गौसंरक्षण और इनोवेशन द्वारा नए वैज्ञानिक तरीकों के जरिए गौशालाओं को मजबूत बनाया जाएगा.
- प्राकृतिक ऊर्जा के सोर्स, हरा चारा (आजौला) उत्पादन हासिल कर ज्यादा दूध उत्पादन में इजाफा कर फायदा कराना और रोजगार उपलब्ध करवाना.
- देशी नस्ल की गायों के महत्व और गौसंवर्धन की नई तकनीकों द्वारा प्रदेश की देशी नस्ल को बढ़ावा देना और राज्य की आर्थिक विकास दर में ग्रोथ करना.
- पॉलिथीन थैलियों के उपयोग द्वारा गायों पर होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को बताना.
- भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड की योजना, केन्द्रीय और राज्य स्तरीय गोपालन से जुड़ी सभी योजनाओं और गाय से संबंधित बीमा योजनाओं के बारे में किसानों को बातया जाएगा.
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