नई दिल्ली. पशुपालन में हरा चारा की समस्या बहुत आम है. हालांकि हरे चारे की समस्या को दूर करने का तरीका भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के केरल के एर्नाकुलम स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने खोज लिया है. इस संस्थान के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अनानास की पत्तियों का इस्तेमाल करके हरे चारे की किल्लत को दूर किया जा सकता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व दुधारू पशुओं के लिए दूध बढ़ाने में भी मददगार होते हैं. वहीं छोटे पशुओं की ग्रोथ के लिए भी यह बेहद ही फायदेमंद हैं. वैसे तो अनानास की पत्तियों को हरे चारे के रूप में 7 से 10 दिनों तक इस्तेमाल किया जा सकता है और इसके बाद पत्तियां खराब हो जाती हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने जो तरीका निकाला है उसे इसकी लाइफ एक साल तक बढ़ सकती है. आईए जानते हैं केरल के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने क्या तरीका निकाला है.
KVK के वैज्ञानिकों ने अनानास की पत्तियों से बने हरे चारे की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए तरकीब निकाली है. दावा किया जा रहा है कि हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए एर्नाकुलम जिले में मौजूद भारी मात्रा में अनानास के पत्तों का इस्तेमाल किया गया है. वैसे तो इस पत्तियों में पशुओं खिलाने के लिए कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं लेकिन यह जल्दी खराब भी हो जाती है. इसको देखते हुए वैज्ञानिकों ने यह तरीका निकाला है.
ये है चारा तैयार करने का तरीका
कृषि विज्ञान केंद्र एर्नाकुलम के अनुसार अनानास के पत्तों को हरे चारे के रूप में अगर लंबे समय तक इस्तेमाल करना है तो इसे चारा बनाने के लिए टोटल मिक्सड राशन का इस्तेमाल किया जाता है. हरा चारा बनाने के दौरान कुछ खास चीजों को मिश्रण में मिलने की जरूरत पड़ती है. इसके बाद 7 से 10 दिन तक चलने वाला हरा चारा एक साल तक के लिए पशुओं के लिए संरक्षित किया जा सकता है. इसके लिए सबसे पहले अनानास की पत्तियों को मिश्रित राशन मशीन टोटल मिक्सड राशन में हरे चारे के लिए पशुओं को खिलाने के हिसाब से काट लें. उसके बाद 100 किलोग्राम कटे हुए पत्ते को 2 किलोग्राम गुड़ और 500 ग्राम नमक के साथ मिला लें. फिर अच्छी तरह से कटे हुए चारे को गुड़ और नमक में मिलाकर एयर टाइट कंटेनर में बंद कर दें. इस प्रक्रिया के बाद हरे चारे को कंटेनर से 1 साल तक निकाल-निकालकर पशुओं को खिलाया जा सकता है.
कितना खिलाना चाहिए चारा
वैज्ञानिकों ने कहा कि अनानास की पत्तियों को हरे चारे के तौर पर गाय-भैंस, बकरी और ऊंट को खिलाया जा सकता है. वहीं प्रोसेस करके मुर्गियों का दाना भी बनाया जा सकता है. इसकी पत्तियों में फाइबर विटामिन कार्बनिक अम्ल शर्करा और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होती है. इस वजह से पशुओं के लिए चारा बनाने के साथ-साथ पाचन करने में भी मददगार होता है. वैज्ञानिकों ने इस चारे को पशुओं के लिए बेहद ही फायदेमंद बताया है. दुधारू पशुओं को मिश्रण विधि से संरक्षित चारे को 5 से 10 किलो ग्राम की मात्रा में खिलाने से पशुओं का एक से डेढ़ किलो दूध उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है. वहीं दूध का फैट भी से 3 से 5 फीसद तक बढ़ सकता है.
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