नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में सड़कों पर घूमने वाले निराश्रित मवेशियों को आश्रय देने के उद्देश्य से दमोह में गोवंश वन्य विहार बनाने की तैयारी सरकार ने कर ली है. सरकार का दावा है कि ये प्रदेश का सबसे बड़ा गोवंश वन्य विहार होगा. क्योंकि यह 520 एकड़ में बनाया जाएगा. इसके लिए विभाग ने जमीन की पहचान कर ली है. इसे लेकर तमाम दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. शासन स्तर पर सभी मंजूरी मिलने के बाद अब इसका टेंडर भी जारी हो चुका है. ऐसे में नए साल तक गोवंश वन्य बिहार काम शुरू हो सकता है.
कहा जा रहा है कि दमोह में बनने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए लगातार एक साल से काम चल रहा है. जिसमें सीतानगर, कल्याणपुरा, रानगिर सहित चार गांवों से लगी करीब 520 एकड़ जमीन चयनित हो चुकी हैं.
इतनी बड़ी जमीन पर बनेगा गोवंश वन्य विहार
जानकारी के लिए बता दें कि पहले करीब 700 एकड़ जमीन पर इसे बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन सभी सर्वे आदि होने के बाद 520 एकड़ को ही फाइनल किया गया है.
जमीन चयनित होने, अधिकारियों के सर्वेक्षण और सभी दस्तावेजों के सही होने पर शासन ने भी इसे मंजूरी दे दी थी.
पशु पालन मंत्रालय, सीएम भी इस काम को हरी झंडी दे चुके हैं. सीतानगर क्षेत्र की जिस भूमि को इसके लिए पहचान किया गया है. वहां सुनार नदी है.
उक्त जमीन का अधिकांश हिस्सा सुनार नदी के किनारे ही होगा. इसके अलावा चरनोई के लिए आसपास बहुत जमीन है. यहां तक पहुंचने के लिए मार्ग भी है.
यहां गोवंश वन्य विहार बनने पर आसपास के ग्रामीणों को रोजगार भी उपलब्ध होगा. पशु चिकित्सा विभाग के अनुसार गोवंश वन्य विहार में 8 हजार से अधिक गोवंश को रखने की क्षमता रहेगी.
पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने बताया कि पशु पालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब 8 हजार गोवंश निराश्रित है. जो सड़कों पर दिखाई देते हैं.
इसे ही ध्यान में रखते हुए गोवंश वन्य विहार की जमीन का चिन्हांकन किया गया है. दावा है कि इसके बनने के बाद जिले में एक भी निराश्रित गोवंश सड़क पर नजर नहीं आएगा.
गोवंश वन्य विहार की सभी कागजी कार्रवाई हो चुकी है। इसका टेंडर भी जारी हो चुका है. जल्द ही सीतानगर में गोवंश वन्य बिहार बनेगा.
निराश्रित गोवंश के सड़कों पर होने के सवाल सामने आ रहे थे। इसमें 7 से 8 हजार निराश्रित गोवंश को रखा जा सकेगा.
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