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Nattive Breed Of Gujrat: गुजरात की पहचान हैं ये बकरियां

कुछ पशुपालन केवल गाय-भैंस तक ही सीमित रखते हैं, जबकि बकरियां भी एक महत्वपूर्ण पशुधन हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. बकरियों से एक से डेढ़ साल में अच्छी कमाई ली जा सकती हैं. बकरी पालन अब बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. बकरी पालन दोहरे उद्देश्य के लिए किया जाता है. एक तरफ इनसे दूध मिलता है, वहीं दूसरी तरफ बकरों से मीट मिलता है. हालांकि कई बीमारियों में बकरी का दूध लाभकारी होने के चलते आज देहात ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी बकरी पालन किया जा रहा है. बकरियों की कई ऐसी नस्लें भी हैं, जो दूध के साथ मीट के लिए बहुत फेमस हैं. अपने बाड़े में इस बकरी को पाल कर आप भी अपनी इनकम में अच्छी ग्रोथ कर सकते हैं. आज एक ऐसी बेहतरीन नस्ल के बारे में बात कर रहे हैं, जो अपने मीट के लिए जानी जाती है. इस आर्टिकल के जरिए हम गुजरात की बकरियों की जानकारी दे रहे हैं.

बकरी पालन के लिए कई बार सरकार भी पशु पालकों के हित में बात करती है. कुछ पशुपालन केवल गाय-भैंस तक ही सीमित रखते हैं, जबकि बकरियां भी एक महत्वपूर्ण पशुधन हैं. इससे कम लागत में अच्छी कमाई की जा सकती है.

कच्छी बकरी: कच्छी बकरी या काठियावाड़ी बकरी, गुजरात के कच्छ जिले की एक महत्वपूर्ण दोहरे उद्देश्य वाली बकरी नस्ल है. ये मांस और दूध दोनों के लिए जानी जाती है. ये मध्यम आकार की होती हैं और इनका औसत दूध उत्पादन लगभग 2 किलोग्राम प्रति दिन होता है. उनकी स्तनपान अवधि लगभग 6 से 7 महीने होती है, और वे आमतौर पर साल में एक बच्चा देती हैं. कच्छी बकरियों का रंग रंग काला होता है. इनके गले, मुंह और कानों पर सफेद धब्बे होते हैं. इनके कान लंबे होते हैं और नाक उभरी हुई होती है. मोटे और नुकीले सींग कच्छी बकरियों की पहचान है. बकरियों की इस नस्ल में अन्य नस्लों की तुलना में न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता होती है.

गोहिलवाड़ी बकरी: ये भी गुजरात की एक अच्छी नस्ल की बकरी है. इस बकरी का पालन दूध और मीट के लिए पाली जाती है. यह नस्ल दूध का भरपूर उत्पादन भी करती है. यह काले रंग की होती है और इसका वजन 50-55 किलोग्राम तक होता है. यह नस्ल मुख्य रूप से गुजरात के राजकोट, जूनागढ़, पोरबंदर, अमरेली और भावनगर जिलों में पाई जाती है. ये बड़े आकार की बकरियां होती हैं जिनका काला कोट मोटे लंबे बालों से ढका होता है. इस नस्ल के पारंपरिक रखवाले रबारी और भारवार समुदाय (जिन्हें मालधारी भी कहा जाता है) हैं.

सिरोही बकरी की पहचान: इसकी पहचान की बात की जाए तो यह छोटे आकार का जानवर है. इसके शरीर का रंग भूरा होता है. वहीं शरीर पर हल्के या भूरे रंग के धब्बे भी देखने को मिलते हैं. कान इसके चपटे और लटके हुए होते हैं. जबकि सींग मुड़े हुए. बाल छोटे और मोटे होते हैं. मादा की लंबाई लगभग 62 सेमी तक होता है. ये दो बच्चों को जन्म देती है. नर सिरोही के शरीर की लंबाई लगभग 80 सेमी तक होती है.

सुरती बकरी: सुरती बकरियों में अधिकांश जानवरों में कोट का रंग (चमकदार सफेद), थूथन और त्वचा का रंग (गुलाबी) होता है. इन बकरियों के भूरे रंग के सींग और खुर होते हैं. गोल आकार के थन और लंबे शंक्वाकार थन (तालिका 1) के संबंध में विशिष्ट नस्ल की विशेषताएं हैं। बकरी एक दिन में 750 ग्राम से 1 लीटर तक दूध देती है.

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