Home पशुपालन Chegu Goats: बेहद डिमांड में रहती है चेगू बकरी की ऊन, जानें इसके बारे में
पशुपालन

Chegu Goats: बेहद डिमांड में रहती है चेगू बकरी की ऊन, जानें इसके बारे में

बकरी पालन अब बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. बकरी पालन दोहरे उद्देश्य के लिए किया जाता है.
चेगू बकरी.

नई दिल्ली. बकरियों से मीट के अलावा दूध के लिए भी पाला जाता है. इसका दूध पशु पालकों के लिए मुनाफे का सौदा भी साबित हो रहा है. ये कहा जा सकता है कि कुछ वक्त से बकरी के दूध की डिमांड ने बकरी पालन को बहुत ही खास बना दिया है. मुर्गी पालन, गाय और भैंस पालन से बकरी पालन सस्ता होता है. वैसे तो भारत में बकरियों की कुल 37 नस्ल रजिस्टर्ड हैं. जबकि मीट के साथ अब दूध के लिए भी बकरी पालन देश में बढ़ रहा है. वहीं गद्दी, चांगथांगी और चेगू नस्ल के बकरे पश्मीबना के लिए पाले जा रहे हैं. बता दें कि हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में बकरों से बोझा भी ढोया जाता है. आज हम बात कर रहे हैं चेगू नस्ल की बकरियों की. बकरियों की ये नस्ल हिमाचल प्रदेश के चंबा, किन्नौर और लाहौल और स्पीति जिले में पाई जाती है. आइये जानते हैं इस नस्ल के बारे में कुछ खास बातें

बकरी पालन अब बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. बकरी पालन दोहरे उद्देश्य के लिए किया जाता है. एक तरफ इनसे दूध मिलता है, वहीं दूसरी तरफ बकरों से मीट मिलता है. भारत में बकरियों की कई नस्लें पाई जाती हैं. बकरी की नस्लों में नस्लें गद्दी, चियांगथोंगी व चेगू हैं. ये नस्लें उत्तरी ठंडा क्षेत्र में पाली जाती हैं. ये नस्लें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्र में लोग पालते हैं.

चेगू बकरी की ये है खासियत: बकरियों की खासियत होती है, कि ये कम खर्च में पल जाती हैं. बकरियों से एक से डेढ़ साल में अच्छी कमाई ली जा सकती हैं. बकरियां रेशा (पश्मीना) व मांस उत्पादक होती हैं. चेगू नस्ल की बकरियां हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं. चेगू बकरियों का कोट सफेद, ग्रे और लाल रंग के धब्बों से युक्त होता है. ये बकरियां लंबी बालों वाली होती हैं. इन बकरियों का उपयोग खच्चर के रूप में भी किया जाता है. चेगू बकरियों में मादा का वजन 26 किलोग्राम तक हो सकता है. वहीं नर का वजन 39 किलोग्राम तक होता है. मीट के लिए इनकी खूब डिमांड होती है. वहीं अगर इनके दूध की बात की जाए तो इस नस्ल की बकरी से दो सौ दिन में करीब 75 किलोग्राम दूध लिया जा सकता है. बकरियों की इस नस्ल में अन्य नस्लों की तुलना में न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता होती है. यहां तक ​​कि व्यापक प्रबंधन प्रणालियों के तहत भी पनपते हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: अलग-अलग फार्म से खरीदें पशु या फिर एक जगह से, जानें यहां

फार्मों में अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संक्रमण के प्रवेश...

livestock animal news
पशुपालन

Milk Production: ज्यादा दूध देने वाली गायों को हीट से होती है परेशानी, जानें क्या है इसका इलाज

उच्च गुणवत्ता-युक्त अधिक दूध प्राप्त होता है, लेकिन ज्यादा तापमान युक्त हवा...

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को इस तरह खिलाएं हरा चारा, ये अहम टिप्स भी पढ़ें

बारिश के सीजन में पशुओं को चारा नुकसान भी कर सकता है....

पशुपालन

CM Yogi बोले- IVRI की वैक्सीन ने UP में पशुओं को लंपी रोग से बचाया, 24 को मिला मेडल, 576 को डिग्री

प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं....