नई दिल्ली. देशभर में शुभ मौकों पर और पूजा-अर्चन के समय पेड़े का अपना अलग महत्व है. पेड़ों की कई किस्म हैं जो देशभर में मशहूर हैं. उसी में कुछ पेड़ों के बारे में आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं. जिसमें वाराणसी का लाल पेड़ा, देवगढ़ पेड़ा, थबड़ी का पेड़ा या काठियावाड़ी पेड़ा, थिरगुपाल पेड़ा और दूध पेड़ा. इन पेड़ों को लोग काफी पसंद करते हैं. वाराणसी का लाल पेड़ा की बात की जाए तो यह मिठाई वाराणसी के लिए बहुत खास है. इसे लाल पेड़ा के नाम से भी जाना जाता है. लाल पेड़ा भारत के पूर्वी क्षेत्र के डेयरी उत्पादों में सबसे महत्वपूर्ण स्वदेशी निर्मित मिठाइयों में से एक है.
वाराणसी का लाल पेड़ा बनाने में आधार सामग्री के रूप में खोया का उपयोग तो किया जाता है, लेकिन इसमें लगभग 35 फीसदी चीनी खोये की पेस्ट्री अवस्था में डाली जाती है. पेड़ा को एक विशिष्ट बनावट प्रदान करने में लाल-भूरा रंग और कैरामेलाइज्ड स्वाद देने में चीनी का महत्वपूर्ण योगदान है.
देवगढ़ पेड़ा के बारे में पढ़ें
बैजनाथ धाम और देवगढ़ के पेड़ा प्रचीन काल से प्रसिद्ध है. भारत के किसी भी हिस्से में उपलब्ध सभी पेड़ों पर इसकी श्रेष्ठता एक अति पवित्र स्थान होने के नाते ज्यादा है. यहां पर भगवान शिव ने सर्वोच्च शासन किया था. ये पेड़े इस स्थान के लोकाचार के साथ घनिष्ठ रूप से घुलमिल गए हैं. यह स्थान 12 ज्योतिर्लिंग में 51 शक्ति पीठों में से एक है, इसलिए प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते है और इसलिए इन पेड़ों की लोकप्रियता इतनी जल्दी देश भर में फैल गई. मूल रूप से, इस पेड़ा में अन्य पेड़ों से एक बड़ा अंतर इसकी अनूठी सामग्री है. गाय के दूध के अलावा बाबाधाम पेड़ों में ऊंट के दूध का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए खोया भी अलग है और स्वाद भी.
थबड़ी या काठियावाड़ी पेड़ा
थबड़ी या काठियावाड़ी के नाम से मशहूर पेड़ा एक पारंपरिक गुजराती मिठाई है, जो दूध से तैयार की जाती है और इसकी बनावट बहुत नरम होती है. यह अनोखी मिठाई सभी त्यौहारों के दौरान बनाई जाती है, इतनी स्वादिष्ट मिठाई बनाने के लिए किसी एक त्योहार का इंतजार नही किया जाता है. सही रंग पाने के लिए कम दूध में कैरामेलाइज्ड चीनी डाली जाती है जो इस मिठाई का स्वाद और रंग पूरी तरह से बदल देती है.
थिरगुपाल पेड़ा
बेहद टेस्टी यह पेड़ा देश के दक्षिणी राज्यों में बनाया जाता है. यह तमिलनाडु और केरल में व्यापक रूप से लोकप्रिय है. इसकी विशेषता मोटे और बहुत दानेदार बनावट में जुड़ी है. यह पेड़ा दानेदार खोया से बनाया जाता है. दानेदार खोया बनाने के लिए थोड़ा खट्टा दूध या बहुत कम मात्रा में दही को गर्म दूध में मिला दिया जाता है, जिससे एक निश्चित एसिडिटी प्राप्त कर दानेदार खोया प्राप्त होता है और इसलिए इस पेड़ा की बनावट दानेदार रूप में प्राप्त होती है.
दूध वाला पेड़ा
दूध पेड़ा सबसे सामान्य प्रकार एवं आसानी से बनाई जाने वाली मिठाई है, जो संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है. यह पेड़ा गोल चपटा, सफेद मलाईदार और चिकनी बनावट में होता है. इस पेड़ा की उत्पत्ति मथुरा पेड़ा की तरह मथुरा में ही मानी गई है. इस पेड़ा को बनाने के लिए भैंस के दूध को रबड़ी अवस्था आने तक गर्म करते हैं और फिर चीनी व इलाइची पाउडर मिलाकर गोल पेड़े का रूप दे दिया जाता है. मथुरा पेड़ा की तरह कैरामेलाइज्ड रंग नहीं दिया जाता है. ये पेड़े देखने में अति सुंदर लगते हैं.
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