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PMMSY के तहत मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने खर्च किए हजारों करोड़, पढ़ें रिपोर्ट

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मछलियों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. सरकार की ओर से पशुपालन से लेकर मछली पालन तक को बढ़ावा देने के लिए कई काम हो रहा है. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की ओर से शुरू की गई प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत कई शानदार काम हुए हैं. इससे मछली पालकों को फायदा हुआ है. उनकी इनकम बढ़ी है. वहीं फिशरीज सेक्टर में उत्पादन भी बढ़ा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो मछली पालन से जुड़े हर तबके को इसका फायदा मिला है. बता दें कि सरकार ने इस योजना को सफल बाने के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), नीली क्रांति, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) आदि जैसी विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र के परिवर्तन का नेतृत्व किया है, जिसमें 2015 के बाद से अब तक का सबसे अधिक 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.

मछुआरों को मिलती है मदद
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत शुरू की गई एक उप-योजना है जो एक व्यापक जलीय कृषि बीमा प्रदान करती है। पीएम-एमकेएसवाई के तहत जलीय कृषि बीमा जोखिमों को कम करने और विशेष रूप से छोटे और हाशिए के किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन देने पर केंद्रित है. राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) के माध्यम से, उप-योजना बीमा के लिए सहज डिजिटल पहुंच प्रदान करती है, जिससे मछुआरों और मछली किसानों की आय को अप्रत्याशित नुकसान से बचाने में मदद मिलती है और साथ ही मत्स्य क्षेत्र के भीतर बेहतर ट्रैकिंग और औपचारिकता को बढ़ावा मिलता है.

सभी को मिला फायदा
पात्र लाभार्थियों में पंजीकृत जलकृषि, फर्म, कंपनियां, समितियां, सहकारी समितियां, मछली किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ), और मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में शामिल अन्य संस्थाएं शामिल हैं, जिन्हें डीओएफ द्वारा पहचाना गया है. गहन जलीय कृषि प्रणालियों जैसे कि पुनरावर्ती जलीय कृषि प्रणालियों के लिए, प्रीमियम 1800 m³ के लिए प्रति किसान 1 लाख रुपये तक सीमित है. इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिला लाभार्थी अतिरिक्त 10% प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं, जिससे समाज के हर एक व्यक्ति को और अधिक बढ़ावा मिलेगा.

समान तरीके से मिला लाभ
पीएम-एमकेएसएसवाई इस क्षेत्र और इससे जुड़े हितधारकों की बेहतर समझ के लिए राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) पर कार्य-आधारित पहचान बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करता है. इससे यह सुनिश्चित होने की उम्मीद है कि लाभ उचित लाभार्थियों तक समान तरीके से पहुंचे. इसलिए, पीएम-एमकेएसएसवाई के कुशल कार्यान्वयन को सक्षम करने में मत्स्य पालन विस्तार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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