नई दिल्ली. पोल्ट्री सेक्टर को और मजबूत करने और इससे जुड़े लोगों को ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए इंडियन पोल्ट्री इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स अस-सोसिएशन (IPEMA) की ओर से आयोजित किये एक्सपो में बड़े ही अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. इस एक्सपो में आए हजारों लोगों को पोल्ट्री सेक्टर से जुड़ी जरूरी जानकारी मिली. सेक्टर से जुड़े लोगों को पता चला कि कैसे वो पोल्ट्री फार्मिंग में ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सकते हैं. एक्सपो में हर उस पहलू को टच किया गया, जिससे पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े लोगों को ज्यादा फायदा पहुंचाया जा सकता है.
इंडियन पोल्ट्री इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स अस-सोसिएशन (IPEMA) द्वारा हैदराबाद के HITEX प्रदर्शनी केंद्र में पोल्ट्री इंडिया एक्सपो 2024 का 16वां संस्करण आयोजित किया गया था. जिसमें 27 से 29 नवंबर तक 40 हजार से अधिक मेहमान आए थे. वहीं इस एक्सपो में त्रिपुरा के राज्यपाल, इंद्रसेन रेड्डी ने भी शिकरत की और उन्होंने समापन समारोह की शोभा बढ़ाई.
राज्यपाल ने IPEMA की तारीफ की
इस दौरान राज्यपाल ने पोल्ट्री प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में IPEMA की भूमिका की तारीफ और उन्होंने कहा कि IPEMA की ओर से इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करके पोल्ट्री सेक्टर के लोगों को खूब फायदा पहुंचाया है. IPEMA ने पोल्ट्री सेक्टर को आगे ले जाने के लिए कई काम किये हैं. पोल्ट्री इनोवेशन में तेलंगाना के नेतृत्व और इस बात पर भी रोशनी डाली गयी कि कैसे एक्सपो ने स्थानीय उद्योगों को नई प्रगति अपनाने के लिए प्रेरित किया है. इससे स्थानीय उद्योगों से जुड़े लोगों को खूब फायदा पहुंचा है. एक्सपो से जुड़े अधिकारियों ने इस वर्ष की थीम, “अनलॉक-पोल्ट्री पोटेंशियल”, 50 से ज्यादा देशों के 400 से अधिक एग्जीबिटर को एक साथ लाया गया और पोल्ट्री फार्मिंग, फोएड टेकोलॉजी और स्वास्थ्य प्रबंधन में नवीनतम नवाचारों को प्रदर्शित किया.
IPEMA के अध्यक्ष उदय सिंह ब्यास ने क्या कहा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक्सपो में नॉलेज डे 26 नवंबर को आयोजित किया गया था. इस दौरान तकनीकी संगोष्ठी में दुनियाभर से आए एक्सपर्ट ने विज्ञान के रुझानों पर चर्चा की. IPEMA के अध्यक्ष उदय सिंह ब्यास ने कहा कि भारत के पोल्ट्री सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए आहार और मशीनों पर जीएसटी छूट और टिकाऊ प्रथाओं के लिए समर्थन सहित नीतिगत हस्तक्षेप का आह्वान किया. कहा कि इससे पोल्ट्री सेक्टर को आगे ले जाने में मदद मिलेगी. उद्योग में सतत विकास को बढ़ावा देते हुए बढ़ती सेटेलमेंट लागत, आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों और रोग प्रबंधन जैसी चुनौतियों का समाधान करते हुए नेट-वर्किंग और ज्ञान विनिमय के लिए रचनात्मक मंच पर जोर दिया.
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