Home पोल्ट्री Poultry Farming: नवरात्रि का असर, बाजार में कम हुई अंडे की डिमांड, पोल्ट्री किसान सस्ते में बेचने को मजबूर
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Poultry Farming: नवरात्रि का असर, बाजार में कम हुई अंडे की डिमांड, पोल्ट्री किसान सस्ते में बेचने को मजबूर

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अंडों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. अंडों की डिमांड सर्दियों में बढ़ जाती है लेकिन अक्टूबर शुरू होने के बावजूद अभी बहुत ज्यादा डिमांड नहीं है. इसकी एक वजह नवरात्रि का पर्व भी है. इसके चलते अंडे मुर्गी फार्म पर डंप हो रहे हैं. इसका सीधा नुकसान पोल्ट्री फार्मर्स को हो रहा है. अंडे डंप होने की वजह से फार्मर्स अंडे बेच नहीं पा रहे हैं. अगर बेचना भी चाहें तो इसका फायदा कंपनियां उठा रही हैं और ​कम डिमांड की बात कहकर 10 से 20 रुपये प्रति सौ अंडों के दाम में कटौती कर दे रही हैं. जिसका सीधा नुकसान पोल्ट्री फार्मर्स को हो रहा है.

यूपी पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली का कहना है कि अंडों का सीजन शुरू होने वाला है. उम्मीद है कि सीजन में फार्मर्स को अच्छा दाम मिलेगा. हालांकि उसके ठीक पहले फार्मर्स को नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. अभी एक अंडे पर करीब 4 रुपये लागत आ रही है. नवरात्रि से पहले तक प्रति अंडे सवा 4 रुपये और 5 रुपये तक उठ रहे थे. हालांकि हमेशा से ही नवरात्रि शुरू होते ही अंडों की डिमांड कम हो जाती है. जिसकी वजह से कंपनियां हर साल अंडों के रेट को दबा देती हैं और अंडों के दाम को कम करने से फार्मर्स का फायदा घट जाता है.

इसलिए कम दाम पर बेचने को होते हैं मजबूर
उन्होंने कहा कि अगर कंपनी एक फार्मर्स से एक हजार अंडे खरीदती है और प्रति 100 अंडे पर 10 या 20 रुपये रेट कम करती है, ऐसे में फार्मर को 100 से 200 रुपये तक का नुकसान हो जाता है. फार्मर्स की मजबूरी ये है कि वो अंडों को डंप नहीं कर सकते हैं. उनके सामने मुश्किल ये है कि जब अंडे बिकेंगे नहीं तो फिर वो मुर्गियों के लिए दाना कहां से लाएंगे. वहीं अगर मुर्गियों को समय से दाना नहीं मिलेगा तो फिर इसका असर अंडों के प्रोडक्शन पर पड़ेगा. इस तरह से फार्मर्स को और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा. इसके चलते उन्हें कम दाम पर ही अंडों को बेचना पड़ जाता है.

बढ़ जाता है खर्च
नवाब अली का का कहना है कि मु​र्गी फार्मर्स के साथ दिक्कत ये भी है कि उन्हें बैंक भी सपोर्ट नहीं करते हैं. अगर फार्मर्स चाहें कि बैंक से लोन लेकर फीड की व्यवस्था कर लें तो वो ये भी नहीं कर पाते हैं. वहीं फार्म में बिजली का खर्च अलग से रहता है. जिन ग्रामीण इलाकों में रोस्टर के मुताबिक बिजली दिन में रहती है और रात में नहीं तो जेनरेटर चलाकर मुर्गियों को रौशनी देनी होती है. इस वजह से डीजल का खर्च और ज्यादा बढ़ जाता है. इन सब वजहों पर पोल्ट्री फार्मर्स को अंडों का जो भी रेट मिलता है, उन्हें उसी दाम पर बेचना पड़ता है.

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