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Poultry: ये मुर्गी देती हैं इतने अंडे, सुनकर रह जाएंगे दंग

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देसी अंडे को लोग खूब पसंद करते हैं. live stock animal news

नई दिल्ली. दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा मुर्गी का अंडा खाया और बेचा जाता है. यहां मुर्गे-मुर्गी का पालन अंडों के लिए ही खासतौर पर किया जाता है. यहां देसी मुर्गियों का अंडा सबसे ज्यादा महंगा होता है. क्योंकि प्रोटीन के लिए अंडों को डॉक्टर बेहतर विकल्प बताते हैं.अंडे का सेवन लोग ज्यादा करें, इसके लिए नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’ के नारे वाला एड टीवी पर चलवाती है. देश में 26 करोड़ मुर्गियां अंडे की डिमांड को पूरा करने का काम करती हैं. देखा जाए तो देश में ऐसी कई नस्ल की मुर्गियां हैं जो बहुत ज्यादा तो कुछ कम अंडा देती हैं. आइए सबसे ज्यादा अंडा देने वाली मुर्गी की नस्ल के बारे में जानते हैं.


देश में अंडा वेज है या नॉनवेज इस बात की भी लड़ाई है. बहुत से लोग इसे वेज तो बहुत से लोग नॉनवेज बताते हैं. इस सबके बीच इसे पंक्षी फल भी कहा जाता है. वैसे तो सभी नस्ल की मुर्गियां अंडे देने का काम करती हैं. हालांकि लेअर बर्ड जिसे कृषि लेअर भी कहते हैं यो सबसे ज्यादा अंडे देने वाली मुर्गी में शुमार है. आंकड़े के मुताबिक यह मुर्गी एक साल में 280 से लेकर 290 तक अंडे दे देती है. यही वजह है कि छोटे-बड़े हर तरह के पोल्ट्री फार्म में भी इसी मुर्गी के अंडों को प्राप्त करने के लिए पाला जाता है. आमतौर में रिटेल मार्केट में एक अंडा 6.5 रुपये से लेकर 7 रुपये तक बिकता है. वहीं बड़ी-बड़ी कंपनियां इस मुर्गी का चूजा यानि चिक्स बेचती हैं. बाजार के हिसाब से चूजे का रेट 40 से 45 रुपये तक होता है.

कितना अंडा देती हैं ये मुर्गियां
अंडों के लिए लेअर बर्ड के अलावा और भी नस्ल की मुर्गी पाली जाती हैं. अंडे देने वाली जो मुर्गियों की नस्ल है उन्हें देसी मुर्गी भी कहते हैं. बता दें कि देसी मुर्गियों की 8 ऐसी नस्ल हैं जो अंडे देती हैं, जिसमें वनश्री एक साल में 180 से 190 तक अंडे दे देती है. जबकि ग्रामप्रिया 160 से 180, निकोबरी 160 से 180, कड़कनाथ 150 से 170, सरहिंदी 140 से 150, घागुस 100 से 115, वनराजा 100 से 110 अंडे देती है. असील मुर्गियों की एक ऐसी नस्ल है जो सालभर में 60 से 70 अंडे ही देती है.

100 रुपये है एक अंडे की कीमत
देसी मुर्गे-मुर्गी में असील को बहुत ही खास नस्ल माना जाता है. हालांकि देशी में कड़कनाथ, वनश्री, निकोबरी, वनराजा, घागुस और श्रीहिंदी भी अच्छी नस्ल मानी जाती है, लेकिन असील की अपनी एक खास पहचान है. इसका मीट बहुत कम खाया जाता है, लेकिन इसके अंडे की डिमांड बहुत ज्यादा होती है. सर्दियों में इसका अंडा औसतन 100 रुपये तक का बिक जाता है. दवा के तौर पर भी असील का अंडा इस्तेमाल होता है. बाकी डिमांड के हिसाब से मुर्गी वाला जो मांग ले वो इसका रेट होता है. हैचरी के लिए सरकारी केन्द्रों से ही असील मुर्गी का अंडा 50 रुपये तक का मिलता है. असील मुर्गी पूरे साल में सिर्फ 60 से 70 अंडे देती है.

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