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Poultry Farming: इन मुर्गियों से कम फीड लागत में लिया जा सकता है बेहतर उत्पादन, पढ़ें डिटेल

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. असम के दरांग जिला के कुमारपारा गांव में एक वक्त मुर्गी पालन करने वाली महिलाएं मुनाफा कमाने के लिए संघर्ष कर रही थीं. वो मुर्गी पालन तो जरूर कर रहीं थी लेकिन इससे उन्हें ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा था. जबकि इस जगह मुर्गी पालन की संभावना बहुत थी, जिससे ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता था, लेकिन स्थानीय नस्लें उच्च मृत्यु दर, कम वजन बढ़ोतरी और कम अंडा देने की क्षमता के कारण मुर्गी पालन का काम यहां ज्यादा फायदेमंद नहीं था. इससे बहुत फॉर्मर्स मुर्गी पालन को छोड़ने का मन बना रहे थे.

फिर सर्टिफाइड लाइवस्टॉक एडवाइजर (CLA) की टीम यहां फील्ड में उतरी, फिर पोल्ट्री मॉड्यूल III पर आधारित ट्रायल्स किए गए. जनवरी 2020 से अगस्त 2020 तक डारंग जिले के गांव वालों के लिए आयोजित किए गए. इन ट्रायल्स का उद्देश्य पोल्ट्री किसानों द्वारा फेस की जाने वाली समस्याओं को समझना और उनका समाधान करना था, तथा कुछ तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल करके और कुछ सुधारित पोल्ट्री किस्मों का उपयोग करके उनकी आय को दोगुना करना था. साथ ही, बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग के लिए ट्रेनिंग देना था.

कम लागत में मिला बेहतर उत्पादन
CLA ने लोगों को पोल्ट्री की दूसरी प्रजातियां जैसे वनाराजा, कामरूप आदि दिया. उनकी उत्पादकता प्रदर्शन को बताया और आम ग्रामीण पक्षियों और नए किस्म के प्रजातियों के बीच का अंतर बताया. इसके अलावा, उन्हें बताया गया कि वे वैज्ञानिक पोल्ट्री प्रबंधन के माध्यम से नए किस्म के प्रजातियों से अपनी उत्पादन प्रदर्शन कैसे बढ़ा सकते हैं. इसके बाद बाद फॉर्मर्स से 1.5 महीने की कामरूप नस्ल की मुर्गियां खरीदीं. बर्ड को देखरेख में पाला गया तो मिला कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति अच्छी थी. कम फीड लागत के बावजूद उत्पादन बेहतर मिला.

खुद फायदा उठाया और दूसरों को आगे बढ़ाया
ग्रामीणों को CLA ने टीकाकरण और कीड़े मारने की प्रक्रिया के बारे में ट्रेनिंग दिया. इसी गांव की ही रणजी डेका ने इस तकनीक को अपनाया और इसका फायदा उन्हें भी मिला. वहीं उन्होंने डेका ने पड़ोसी महिला किसानों को अंडे बेचने शुरू किए ताकि वे उन्हें हैचिंग करें और अच्छी नस्ल की मुर्गियां तैयार करें. उन्होंने हैचिंग के उद्देश्य से लगभग 90 अंडे बेचे 12 रुपये और नर 600-800 रुपये में. जिसके बाद बेहतर नस्लों का पालन करके, मृत्यु दर को कम करने, रोग की घटनाओं को घटाने और अंडे देने और तेजी से वजन बढ़ाने की क्षमता को बढ़ाकर एक स्थायी आय मिल गई. अब आस-पड़ोस की बड़ी संख्या में महिलाएं बेहतर नस्ल के चूजों का पालन करने के लिए आगे आ रही हैं.

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