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Poultry Farming: पोल्ट्री फार्मिंग में कब कराएं वैक्सीनेशन, जानिए पूरी डिटेल

अपने पक्षियों के साथ-साथ खुद को भी इन आसान तरीके से बचा सकते हैं.
मुर्गी फार्म में मुर्गी. Live stockanimalnews

नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्म में मुर्गे और मुर्गियों के पालने में कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. मुर्गे और मुर्गियां बहुत संवेदनशील पक्षी होते हैं. जरा सी बीमारी में आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए सुरक्षित मुर्गी पालन के कुछ आसान उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर आप पोल्ट्री फार्म के बिजनेस में अपनी कमाई को बढ़ा सकते हैं. छोटी-छोटी चीजों को ध्यान में रखकर आप अपने पक्षियों को चुस्त और दुरुस्त बना सकते हैं. उनकी सेहत अच्छी रहेगी तो आपकी इनकम भी अच्छी रहेगी. क्या-क्या उपाय हैं यह आपको हम इस यहां उनकी जानकारी दे रहे हैं. मुर्गे और मुर्गियों में कई बीमारियां लगने का खतरा रहता है. रानीखेत, गम्बोरो और बर्ड फ्लू जैसी बीमारी शामिल हैं.

पोल्ट्री में ये बीमारियां दूषित पानी से प्रभावित पक्षी के मल व मूत्र, पंखों से पूरे झुंड को बड़ी तेजी से प्रभावित करती हैं. मुर्गी पालन से जुड़े होने के नाते आप अच्छी तरह जानते हैं, कि अपने पक्षियों को इन बीमारियों से बचाना कितना जरूरी है. अपने पक्षियों के साथ-साथ खुद को भी इन आसान तरीके से बचा सकते हैं.

  • ऐसे कराएं मुर्गियों में टीकाकरण: पोल्ट्री में वैक्सीनेशन बहुत जरूरी होता है. यह टीकाकरण आप इस तरह से करते हैं. अंडे देने वाली मुर्गियां एक दिन होने पर मेरेक्स का खतरा रहता है. इसमें टीकाकरण जरूरी है.
  • सात दिन के बच्चे की उम्र में रानीखेत रोग हो सकता है. ये आंख और उसकी नाक से होता है.
  • 14 दिन के बच्चे में गम्बोरो होने की संभावना रहती है. यह पीने के पानी से होता है.
  • 21 से 25 दिन के पक्षी में संक्रामक ब्रोकाइटिस की संभावना रहती है. यह आंख और नाक से होता है.
  • 28 दिन में रानीखेत हो सकता है.
  • 6 सप्ताह में फाउल पॉक्स और 12 सप्ताह में गम्बोरो फिर से संक्रमित कर सकते हैं.
  • 13 सप्ताह में संक्रामक ब्रोंकाइटिस की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
  • वहीं 19 सप्ताह रानीखेत, गुंबोरो, संक्रामक ब्रोंकाइटिस हो सकता है.

नियमित करते रहें देखभाल: यदि आपके पक्षी अधिक मर रहे हैं. आंखों, गर्दन और सिर के आसपास सूजन है. पंखों, कलंगी और टांगों का रंग बदल रहा है या पक्षी कम अंडे देने लगे हैं तो यह खतरे के संकेत हैं. पक्षियों के अचानक कमजोर होने पर और हरकत कम होने पर नजर रखना जरूरी है. अपने पक्षियों की सामान्य बीमारी या मौत की सूचना अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय जरूर दें. अपनी पोल्ट्री को संक्रमित मुक्त रखने के लिए दवा का छिड़काव कर दें.

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